हिंदी पखवाड़ा चल रहा है उस उपलक्ष्य में मेरे द्वारा लिखी यह कविता
हिन्दी दिवस पर बस यही कहना है ---
'' हिन्दी आत्मा है हिंदुस्तान की
इसे हृदय से सभी लोग अपनाएं
इससे अच्छी भाषा न कोई जहान की
हम भारतीय इसे जेहन में ज़िंदगी में उतारें ''
हिन्दी धड़कन,मेरुदण्ड,सांस है शिरोमणि अखण्ड हिंदुस्तान की
हम भारतीय इसे जेहन में ज़िंदगी में उतारें ''
हिन्दी धड़कन,मेरुदण्ड,सांस है शिरोमणि अखण्ड हिंदुस्तान की
हर माने में समर्थवान वृहत कोषों का भण्डार हिंदी हिंदुस्तान की,
स्वर,व्यंजन,छन्दों से सुशोभित सुघड़,सलोनी हिदी हिंदुस्तान की
भव्य,सरल,सहज,सुबोध,अलंकारयुक्त शुचि भाषा हिंदी ज्ञान की,
गीत रचे संगीत रचे परोसे रस,श्रृंगार में दुःख,दर्द कहानी,कविता
गजल,कलाम,शेरो-शायरी में कर देती अंतर की प्रवाहित सरिता,
खोल अतुल तिजोरी शब्द समन्वय की,अविरल रसधार बहाती है
बिंदी भाल लगाके,मलिका सौंदर्यबोध की,हिंदी अलख जगाती है,
गर्व से बोलो,शर्म करो मत राष्ट्रधर्म निभाओ भाषा स्वाभिमान की
सबसे उन्नत औ सुव्यस्थित,संसार की अग्रणी भाषा हिंदुस्तान की,
मर्यादित,सुस्पष्ट,प्रभावी मधुर भी कितनी जनहित के कल्याण की
संवादमुखी,पारदर्शी,सर्वसुलभ संग सर्वव्यापी हिंदी हिंदुस्तान की,
आचार-विचार,व्यवहार में घुलती हिंदी भाषा देश लिए उत्थान की
सर्वसमय सर्वत्र प्रयोग,है अभिव्यक्ति की मैत्री हिंदी हिंदुस्तान की,
शुद्ध परिष्कृत ओजस्वी,हिंदी की अकूत साहित्य सम्पदा,शान की
सहर्ष सुकीर्ति,ख्याति फैलायें राष्ट्रीय चेतना हिंदी आत्म सम्मान की,
सहर्ष सुकीर्ति,ख्याति फैलायें राष्ट्रीय चेतना हिंदी आत्म सम्मान की,
चिरंतनकाल से देवों की वाणी सनातनी हिंदी है धर्म वेद पुराण की
रससिक्त,संस्कारवान,शालीन,सौम्य,मृदु भाषा हिंदी हिंदुस्तान की,
जिन्हें कदर नहीं अमृत भाषा की जो अज्ञान के अन्धकार में डूबे हैं
जिन्हें हिंदी महिमा का भान नहीं बोलने में संकोच करें वे अजूबे हैं,
जिन्हें हिंदी महिमा का भान नहीं बोलने में संकोच करें वे अजूबे हैं,
हिंदी भावों की जननी,मीठी सरस,सुहावन जन-जन के जुबान की
हिन्दी समृद्ध,सौहार्द,सद्भाव की कड़ी यही विश्व गुरु अभियान की,
राष्ट्रभाषा है हिंदी हमारी सगर्व बोलो जय बोलो हिंदी हिंदुस्तान की
जोर से बोलो,मिलके बोलो,सारे बोलो हम हिन्दू हिंदी हिंदुस्तान की ।
शैल सिंह
जोर से बोलो,मिलके बोलो,सारे बोलो हम हिन्दू हिंदी हिंदुस्तान की ।
शैल सिंह
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