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मार्च 26, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बेवफ़ा तेरी चालाकी भी कितनी हसीन थी---

बेवफ़ा तेरी चालाकी भी कितनी हसीन थी--- बड़ी चालबाज़ी से बेबसी का बहाना बनाकर  ख़ुद से कर दिये बेगाना ईश्क़ में दीवाना बनाकर इक बार मुड़कर देख लेते अश्क ग़र आँखों में बेवफ़ा जाते ना छोड़ तन्हा मोहब्बत के शस्त्र का निशाना लगाकर । बीता दी सारी ज़िन्दगी तुझे अपना बनाने में हो सकी ना और की ना होने दिया तेरा जमाने ने जज़्ब करके अश्क़ आँखों में जबरदस्ती मुस्कुराती हूँ    खुश हो ग़म दफ़न कर सीने में दुनिया के दस्तूर निभाती हूँ ।  महकी थी कभी ज़िन्दगी तेरे नाम से दिलवर कैसे भूलूँ मुलाक़ातें,इंतजार में वो साँझ का पहर दिल दरक उठा जो देखीं आँखें उस मुक़ाम का मंजर नफ़रत सी हो गई उस ठौर से जहाँ मिला करते थे अक्सर । बेवफ़ा तेरी चालाकी भी कितनी हसीन थी मेरे ही दिल में धोखेबाज़ था मैं उसके अधीन थी  ऐसी हुई वर्षात दिल पर आशनाई के अमोघ शस्त्र से आज तक विक्षिप्त हो भींज रही मैं अपराधबोध के अब्र से । सर्वाधिकार सुरक्षित  शैल सिंह