'' मेरी वफ़ा बदनाम हुई ''
ओ दोस्त बेवफ़ा बेवफ़ाई का कलमा लिखा दोस्त तेरे लिए नज़ीर यही , हमें ना बहलाओ लोरी से बालक नादान नहीं हैं हम उद्भट विद्वान नहीं फिर भी इतना भी ज्ञान नहीं है कम , शतरंज की गोट बिछाकर नपुंसक चाल को दाद है दी इस गुमां में मत रहना दोस्त तेरे धूर्त विसात ने मात है दी , बड़ी बेहया से मेरी अना को तूने दर्द की जो सौगात है दी तुझे तेरे किये की मिले सजा बददुवा तुझे दगाबाज़ जो की , ख़ुदा क्या बख़्शेगा तुझे कभी चतुर चाल पड़ेगी तुझपे भारी मेरे नये उड़ानों को पंख लगेंगे मुबारक तुम्हें तुम्हारी ग़द्दारी , तूमने ऐतबार का ख़ून किया और मेरी वफा बदनाम हुई ईमान तेरा रोये खून के आँसू मेरी तल्ख़ जुबां अब आम हुई . शैल सिंह