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" धड़कतीं अभी धड़कनें तेरे इंतज़ार में "

धड़कतीं अभी धड़कनें तेरे इंतज़ार में हसीं स्वप्नों की लड़ियाँ पिरो आँखों में सजा रखी हूँ पलकों के शामियानों में ली कैसे करवटें सलवटों से पूछ लेना मुस्कान का मधुमास दे लब चूम लेना । फड़कें आँखें कभी तेरी तो सोच लेना के जिक्र तेरा लब से छेड़ रहा है कोई  नींद आँखों से बैरी हुयी तो सोच लेना के याद के लौ में तेरे जल रहा है कोई । कसमसा लें कभी अंगड़ाई  बांहे तेरी महसूस लेना कहीं बांहों में मैं तो नहीं ओढ़ कर लिहाफ़ सोना मेरे यादों की आभास लेना जिस्म संग मेरा तो नहीं । आओ इक  बार तुमको  लगा ले गले जाने कब कहाँ  मौत आ लगा ले गले   फिर जाने लौट  दिन ये आयें ना आयें वक्त मनहूस फिर मिल पायें  ना पायें । सांसें अंटकी  तुम आओगे तक़रार में धड़कतीं अभी धड़कनें तेरे इंतज़ार में प्रीति की ओस से आ बुझा प्यास मेरी दो बूंद को चातकी सी लगी आस तेरी । तुम गये जिस जगह थे मुझे छोड़ कर पथ निरखती  मिलूँगी  उसी  मोड़ पर मन की वीणा के तार आ झनझना दो  ग़ज़ल प्यार की फिर कोई गुनगुना दो । ...