'' एक छोटे से बालक की क्रन्तिकारी आवाज ''
एक छोटे से बालक की क्रन्तिकारी आवाज माँ मुझको वर्दी पहना दो देश की रक्षा करने जाऊँगा माँ सचमुच की बन्दूक दिला दो दुश्मन मार गिराऊँगा , आँखों में खून उत्तर आया है माँ देख जवानों की लाशें मत अबोध की बात कहो माँ सर बाँधो केसरिया साफे , फ़ेंक दिया माँ सारा खिलौना छोड़ा कंचा गिल्ली-डण्डा धधका रही प्रतिशोधी अंतर्ज्वाला बदल दिया है फण्डा , शान्ति अमन के पोषक घर घुस,दुश्मन ललकार गया है घर के घाती जयचन्दों टुच्चों का सुर दुश्मन ताड़ गया है , पहले निपट लूँ उन भडुवों से फिर छलियों से निपटूंगा गिन-गिन हिसाब कपट का लूँगा फिर इनको भी सुतुंगा , माँ भैया की शहादत पर आँखों में मत आँसू भर लाना माँ वीरगति पर पापा के तुम गौरव चक्र लिए मुस्काना , मत राखी तोड़ गिरा बहना देखो दूजा भाई तैयार खड़ा उठो सजाओ चन्दन,थाली,रोली रिश्तों से है वतन बड़ा, माँ तूने तो गीता का सार बता नैतिकता का पाठ पढ़ाया दुश्मन की माँ होतीं गन्दी क्यूँ इतनी जेहादी पौध उगाया , आतंक का कोई ध...