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मार्च 17, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

होली के लिए विशेष

            होली के लिए विशेष  होलिका दहन में मन का अहंकार दहन कीजिए मिल-बैठ बांटिये अग़र हो सके दुःख-दर्द आपसी इर्ष्या,द्वेष भाव,सन्ताप और विकार शमन कीजिए । सच्ची प्रीति की बरसातों का फुहार चलन कीजिए फाग गाते ढोल,तासे और मजीरे झूमकर बजाइए रंगों की होली धूम-धाम से जाकर घर-घर मनाईये खिलखिलाईए  खुलकर   मिटाकर  मन की तल्ख़ियाँ  ठण्डई, भांग  में  मिसरी  प्यार की घोल कर  पिलाइए । हमसे शांति औ अमन जाने ख़फ़ा-ख़फ़ा सा  है  क्यूँ   हम  गले से   लगाते जिनको  करते  जाने   जफ़ा  हैं  क्यूँ   उन्मादी हो  गए कुछ  लोग  जो  करते  ख़ता  बार-बार  उनको भी  जरा   मुहब्बत से अर्क प्यार का चखाईये ।      

मेरी पहचान 'शैल शिखर' सा

मेरी पहचान 'शैल शिखर' सा ग़र दे न सको कभी मान तो अपमान ना करो कभी ख़ुद के सस्ते नाम पर अभिमान ना करो ।  मैं कोई   नामचीन  हस्ती  की आवाज नहीं हूँ फिर भी  किसी परिचय का  मोहताज़ नहीं हूँ गीत,ग़जल  बस  शगल  मेरा अन्दाज़  यही हूँ 'शैल शिखर' सी हूँ  शैल  बस आगाज़ यही हूँ । दर्द-ए-ग़म ढाल गीतों,ग़ज़लों में मैंने गा लिया इस तरह नई  दुनिया मैंने ख़ुद की बना लिया जब-जब  किसी ने भेंट की तौहीन की सौग़ात  दिल में ज़ज्ब कर  उसे मैंने ग़ज़ल बना लिया ।  क्यों चश्में-नम हुई,का राज क्यों हैं आप पूछते आप की ही दी सौग़ात फिर क्यों  हैं  बात पूछते पूछना ही ग़र तो रख कर दिल पर हाथ पूछिए क्यूँ  आप  ऐसे हँसते हुए दुखते हैं लम्हात पूछते । जलाकर दिल का दीप घर में रौशनी कर लिया सब पूछते क्यों सारी रात 'शैल' जलता  है दीया जिस तरह   शमा  ये  रात भर जल कर जलायी है जानती हूँ  साथ  मेरे   सारी रात  जल रोया है दीया । क्यों बार-बा...