होली के लिए विशेष
होली के लिए विशेष होलिका दहन में मन का अहंकार दहन कीजिए मिल-बैठ बांटिये अग़र हो सके दुःख-दर्द आपसी इर्ष्या,द्वेष भाव,सन्ताप और विकार शमन कीजिए । सच्ची प्रीति की बरसातों का फुहार चलन कीजिए फाग गाते ढोल,तासे और मजीरे झूमकर बजाइए रंगों की होली धूम-धाम से जाकर घर-घर मनाईये खिलखिलाईए खुलकर मिटाकर मन की तल्ख़ियाँ ठण्डई, भांग में मिसरी प्यार की घोल कर पिलाइए । हमसे शांति औ अमन जाने ख़फ़ा-ख़फ़ा सा है क्यूँ हम गले से लगाते जिनको करते जाने जफ़ा हैं क्यूँ उन्मादी हो गए कुछ लोग जो करते ख़ता बार-बार उनको भी जरा मुहब्बत से अर्क प्यार का चखाईये ।