'' क्रन्तिकारी कविता '' शत-शत नमन तुम्हें महानायकों
क्रन्तिकारी कविता शत-शत नमन तुम्हें महानायकों ये वानगी तो एक चेतावनी थी सिंधु जल पर जल्द फैसला लेंगे हम , दिल आज ख़ुशी से पागल है मन रही देश में गली-गली दीवाली शहर-नगर फूटे धांय-धांय पटाखे मिष्ठानों से घर-घर सज गई थाली , इंतक़ाम ले लिया उरी की घटना ने मातमी चेहरों पर फैली ख़ुशहाली बहादुरों ने ऐसा साहसी रंग बिखेरा अबीर गुलाल उड़ा होली पर्व मना ली , शत-शत नमन तुम्हें महानायकों रच दी एल ओ सी पे नई कहानी प्रण किया था खाकर माँ की कसम सेनाओं की व्यर्थ ना जाने दी क़ुरबानी , तेवर ने एक-एक शहादत के बदले दस-दस जां लेने की बात कही थी बता दो नहीं पूरा हुआ मिशन अभी पीठ पर हमने घात की वार सही थी आज कलेज़े को मिली है ठण्डक उरी का मुँहतोड़ जवाब दे देने पर घर में घुस वीरों ने जो अंजाम दिया अब नहीं मलाल सुपुत्रों के खोने पर तेरे शौर्य का अद्द्भुत परचम देख हल्दीघाटी का भी सीना फूल गया परमाणु बमो की धमकी देने वाला शिकश्त खा लाशें गिनना ...