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नव वर्ष पर कविता

'' नव वर्ष मुबारक हो सबको '' नए साल ने दस्तक दी है नव वर्ष मुबारक हो सबको , बीते बरस के खट्टे-मीठे अनुभव भेदभाव सब बैर बिसारकर   नव वर्ष का आदर स्वागत करें हम खुशियों का उपहार लूटाकर , दिलों में प्रीत की जोत जलाएं आत्मीयता का पुष्प बिछाकर घर,समाज,देश हर रिश्ते संग आह्लाद,नेह का घन बरसाकर , हम सब मिल यह संकल्प करें नव वर्ष विश्व का मंगलमय हो बहे जीवन सबके ज़ाफ़रानी बयार दुःख,दर्द,रोग,शत्रुओं का क्षय हो , उमंग,तरंग से पुलकित अन्तर्मन   हर्ष उल्लास से जीवन सुखमय हो कल्पनाएं,अभिलाषाएं,आशाओं की कभी ना राह किसी की कंटकमय हो , नव वर्ष नई स्फूर्ति नव किरण बिखेरे खुशियों के फूल खिले घर आँगन में हर सुबह सुहानी शुभ संदेशों की ध्वजा फहराये हर प्रांगण में, दैन्य,दरिद्रता,दुःख,कष्ट तमस मिटे नाचे मोरनी कूके कोयल कानन में साहस,सुयश,सद्ज्ञान,विज्ञान का परचम लहराये हिन्द के दामन में, नए साल ने दस्तक दी है नव वर्ष मुबारक हो सबको , जय हिन्द ,जय भारत                   ...

'' ग़ज़ल '' दोस्त की बेवफाई पर

  ग़ज़ल '' दोस्त की बेवफाई पर  दोस्ती के तक़ाजे क्या उसने ना जाना सरेआम रूसवा हुई दास्ताँ दोस्ती की , वफ़ा करते-करते चोट खाई ना होती मलाल इतना ना होता दिल के नासूर का तिल-तिल ना जलते यूँ बेवफ़ाई की आग में आया होता ख़ुदगर्ज को ग़र उल्फ़त का सलीका , ग़र जानती दिल में बेवफ़ा के खंजर करीब दिल के कभी इतना आने ना देती न गैर को अपना महसूसने की नादानी होती ना वफ़ाई के एवज में जग में ऐसी रुसवाई होती , खुद कुसूरवार वही खार व्यवहार में बेबुनियाद इल्ज़ाम लगा किया है घायल उसकी बेरंग दुनिया से ख़ुश हूँ आज़ाद हो मेरे तो बिंदास शख़्सियत की दुनिया है क़ायल , मुझे तनहा सफ़र में ना समझे कभी वो  मेरे साथ राहों पे भीड़ सदा चलती रहेगी ऐसी नाचीज़ खोकर हाथ मलेगी अकेली वो  उसके मग़रूर ज़ेहन में तस्वीर अखरती रहेगी , लब पे मेरे तबस्सुम खिले फूलों सा उसकी ज़िंदगी में मुबारक़ हों तन्हाईयाँ  महके संदल की खुश्बू हवा-ए-गुलिस्ताँ मेरे क़हर ढाएं फ़रामोश के ऊपर मेरी मेहरबानियाँ , गरूर इत्ता बेग़ैरत को किस...