नज़्म ----
नज़्म --- अपनी नज़रों में कर लो महफूज़ मुझको ताकि कर सको हर पल महसूस मुझको तुम्हारी नज़रों में रहके देखूं सुहाने नजारे ज़िन्दगी में रहूं हर पल साथ साथ तुम्हारे । खुशबु बन कर तेरी श्वासों में समां जाऊं तेरी सूरत में मैं ही मैं सबको नज़र आऊं तूं मेरा मुकद्दर मैं तेरी मुकद्दर बन जाऊं दूर कितना भी रहूॅं तेरे पास नज़र आऊं । मुहब्बत के नशे में अगर हो गये बदनाम आंखों के देखें ख़्वाब अगर हो गये आम ग़म नहीं जज़्बात का तोफ़ा देते ही रहेंगे मोहब्बत की तपिश कर दे भले सरेआम । अजनवी होके भी कितने करीब आ गये रूसवाई के चर्चे आज इस कदर भा गये तुझपे ऐतबार कर दाग दामन लगा लिये तुझपे यकीन कर गले तन्हाई लगा लिये । सर्वाधिकार सुरक्षित शैल सिंह