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मन इतना आद्र है की बस .... मत पूछिये

     मन इतना आद्र है की बस  ....  मत पूछिये उरी में शहीद हुए हैं अपने वीर जवान जो उनकी श्रद्धांजलि में अभी शपथ लो हिंदुस्तान के नौजवानों डटकर इंतकाम लेने का सिलसिला तभी थमेगा जब घुसकर तुम भी पाकिस्तान के गढ़ में ऐसा हश्र करोगे मुँहतोड़ जवाब दे बेगैरत छिनालों के छैले ख़ेमे का । मच्छर,मक्खी सी माँऐं पैदा करतीं तादातों में वाहियात औलादें न तहजीब सीखातीं न कोई संस्कार बस जनती रहतीं हरामजादे न अफ़सोस उन्हें ना फर्क कोई गोजरों की एक टांग टूट जाने का गर महसूसती वज्र का पहाड़ टूटना मलाल होता कुछ खो जाने का । पर तेरी बहना तो थाल सजा बैठी थी इकलौते भाई की राहों में मेंहदी रचे हाथ भरी चूड़ियाँ जहाँ सिंगार तब्दील हो गए आहों में हसरत से देखती रस्ता जिन माँओं के आँखों से निर्झर आँसू उमड़े उन वीर सिपाहियों की शहादत पे नौनिहालों लेने होंगे फैसले तगड़े । शीघ्र फतह कर घर लौ...

वीर रस की कविता --ओए शुरू हो जा उलटे दिन गिनना

वीर रस की कविता --ओए शुरू हो जा उलटे दिन गिनना  क्यूँ पापों में निर्लिप्त निर्बाध बह रहे अनिर्दिष्ट दिशा में पाकिस्तान , क्यों सत्य,अहिंसा की पावन वेदी को हिंसात्मक बनाने पर हो तूले कश्मीर का तो सवाल नहीं पीओके पर नजर हमारी क्यूँ तुम भूले , छोड़िये नवाज़ शरीफ बुरहान वानी की तोतिये रट का सिलसिला मेरे घर का मामला था वो ग़द्दार,उसे उसके करनी का फल मिला , गर कुछ लेहाज बाकी तो पहले निज घर की बिगड़ी तस्वीर संवार तेरी व्यर्थ कोशिशें काश्मीरियों लिए शाख़ की ढहती दीवार निहार , छोड़ दो वानी का कल्ट खड़ा कर कश्मीरी युवाओं को भड़काना अन्तर्राष्ट्रीय मानकों ने इतना धिक्कारा पर तुझे नहीं आया शर्माना , क्यों उसकी फिक्र तुझे इस्लाम अनुसार जन्नत के मजे वो लूट रहा बहत्तर हुरों के अंगूरी रस का स्वाद इत्मिनान से वानी तो चूस रहा , वैश्विक पटल पे इतनी फ़जीहत देखले मक्कार तूं अपने को तनहा कहाँ गई जनाब की दादागिरी ओए शुरू हो जा उलटे दिन गिनना ,...