रविवार, 30 अप्रैल 2023

दिखा दो जोश तरुणाई का

ऐ भारत के मेरे  नौजवानों ललकारो  अपने यौवन को 
बाधाओं,व्यवधानों  को काटो, संवारो  अपने लक्ष्यों को,   

भरो यौवन में साहस,संकल्प करो अद्भुत कुछ करने को
यौवन की आँधी  समाधान कर दे  दुर्लभ समस्याओं को ,

लक्ष्यहीन जीवन भी  क्या जीवन है सदा लक्ष्यनिष्ठ बनो
यौवन को गतिमान बना  युवाशक्ति जगा  सत्यनिष्ठ बनो ,

नहीं व्यर्थ गंवाओ जीवन अपना  त्याग दो विकृतियों को     
पहचानो अपनी क्षमता,उबारो दलदल से दुष्प्रवृत्तियों को ,

गम्भीर चुनौतियों से लड़ना सुखदेव,भगतसिंह बनना होगा
राष्ट्रहित लिये महावीर,गौतम सा युवाओं तुझे उभरना होगा ,

दिग्भ्रमित हो मत करो उल्लंघन समाज की मर्यादाओं को
सही मार्ग अपनाओ छोड़ो बेकार,विकृत निरंकुशताओं को ,

जलाओ नई क्रान्ति की ज्वाला  फिर से नया आगाज करो
जाति,धर्म में नहीं बंटना  देश लिए यह प्रण तुम आज करो ,

पहल करो एकता की मशाल से,नये भारत की अरूनाई का
राष्ट्र विकास  लिए संगठित हो  दिखा दो जोश  तरुणाई का ,

धर्म,संस्कृत की अलख जगा,देश का जग में ऊँचा नाम करो 
वीर शिवाजी,राणा जैसा आतंक,अनाचार का प्रतिकार करो ,

बनाओ खुद को चट्टानों सा मजबूत भरो भुजाओं में ताकत 
ऐ भारत माँ के वीर पुत्रों दिखला दो वो दुनिया को नज़ाकत ।

सर्वाधिकार सुरक्षित 
शैल सिंह 


शनिवार, 22 अप्रैल 2023

दो पाट हैं इक नदी के हम

दो पाट हैं इक नदी के हम

जगे तो भी आँखों में
सोये तो भी आँखों में
जर्रे-जर्रे में महफ़िल के   
तन्हाई की पनाहों में ,       

हँसी के फुहारों में       
रोये तो भी आहों में 
चलूँ तो परछाई बन     
संग-संग साथ सायों में ,   

नजर फेरूं जिधर भी
हर पल साथ रहते हो
मुझे तुम छोड़ दो तन्हा
क्यूँ वार्तालाप करते हो ,

मत आ आकर घिरो 
नयन की घटाओं में 
छुप-छुप कर ना बैठो
उर के बिहड़ सरायों में ,

खटकाओ ना सांकल मौन की
ना दो शान्ति पर दस्तक 
बना लूंगी आशियाँ अपना
यादों के उजड़े दयारों में ,

जो गुजरी है वो काफी है
अब ना कोई सौग़ात बाकी है
दो पाट हैं हम इक नदी के 
बस मुसाफिर हैं कगारों में

दर्द से तड़प से मोह हमें
अब तो हो गई है बेइंतहा
ज़िन्दगी के शेष पन्नों को
उड़ाना है मुझे बहारों में ।

शैल सिंह

सोमवार, 17 अप्रैल 2023

पिरो दी हूँ एहसास दिल का अल्फ़ाज़ों में


हजारों ख़्वाहिशें भी ठुकरा दूँगी तेरे लिए
तूं ख़ुश्बू सा बिखर जा साँसों में मेरे लिए ।

ग़र मुकम्मल मुहब्बत का दो तुम आसरा
तुझे दिल में नज़र में अपने बसा लूँगी मैं
माँगकर तुझको मन्नत में हमदम ख़ुदा से
हथेली में नाम की तेरे मेंहदी रचा लूँगी मैं ।

सजाऊँ दिल में ग़ैर का अक़्स आसां नहीं
इस क़दर हूँ गिरफ़्तार तेरी मोहब्बत में मैं
ना गुजरा करो ऐसे यूँ कतराकर बग़ल से 
समझती ख़ुद को रईस तेरी सोहबत में मैं ।

लगे बिन तुम्हारे जहाँ में कोई अपना नहीं 
तेरे हाथों में रहे हाथ मेरा,बस सपना यही
तेरे ईश्क़ की नदी में डूब मर जाना क़ुबूल 
मगर तुझसे बिछड़ कर जीना तमन्ना नहीं ।

जरा दे दो तसल्ली तुम अपना बनाने की
नामंजूर तेरे आगे सारी ख़ुशियाँ जहाँ की
दिल का एहसास पिरो दी हूँ अल्फ़ाज़ों में
करो दिल पे तुम हुकूमत मैं मना कहाँ की ।

अब तक हैं फ़ासले क्यों तेरे मेरे दरमियाँ 
क्या मुझमें कमी है कैसी मुझमें ख़ामियाँ
दिल के दर्पण में नक़्श तेरा जो संवारी हूँ
उसके आगे मुझे फीकी लगे सारी दुनिया ।

सर्वाधिकार सुरक्षित 
शैल सिंह 

शनिवार, 1 अप्रैल 2023

बेवफ़ा तेरी चालाकी भी कितनी हसीन थी---

बेवफ़ा तेरी चालाकी भी कितनी हसीन थी---

बड़ी चालबाज़ी से बेबसी का बहाना बनाकर 
ख़ुद से कर दिये बेगाना ईश्क़ में दीवाना बनाकर
इक बार मुड़कर देख लेते अश्क ग़र आँखों में बेवफ़ा
जाते ना छोड़ तन्हा मोहब्बत के शस्त्र का निशाना लगाकर ।

बीता दी सारी ज़िन्दगी तुझे अपना बनाने में
हो सकी ना और की ना होने दिया तेरा जमाने ने
जज़्ब करके अश्क़ आँखों में जबरदस्ती मुस्कुराती हूँ   
खुश हो ग़म दफ़न कर सीने में दुनिया के दस्तूर निभाती हूँ । 

महकी थी कभी ज़िन्दगी तेरे नाम से दिलवर
कैसे भूलूँ मुलाक़ातें,इंतजार में वो साँझ का पहर
दिल दरक उठा जो देखीं आँखें उस मुक़ाम का मंजर
नफ़रत सी हो गई उस ठौर से जहाँ मिला करते थे अक्सर ।

बेवफ़ा तेरी चालाकी भी कितनी हसीन थी
मेरे ही दिल में धोखेबाज़ था मैं उसके अधीन थी 
ऐसी हुई वर्षात दिल पर आशनाई के अमोघ शस्त्र से
आज तक विक्षिप्त हो भींज रही मैं अपराधबोध के अब्र से ।

सर्वाधिकार सुरक्षित 
शैल सिंह 

शुक्रवार, 24 मार्च 2023

ओ शेरा वाली माँ

तेरे शरण में आई माँ रिद्धि-सिद्धि दे-दे
भर-भर आँचल दे आशीष वंशवृद्धि कर दे
भर दे मेरा हृदय ज्ञान से ध्यान में चित्त रमा दे
मन्नत मांगने आई चौखट तेरी फूटे भाग्य जगा दे
सारे कष्टों,दुखों का करदे निवारण सुख दे-दे भरपूर
अभय हस्त से अभय वरदान दे अभिलाषाएं कर दे पूर ।

कर दे निरोगी काया जग में दे दे जीत
ईर्ष्या,द्वेष मिटा दे माँ कुटुम्ब में भर दे प्रीत
भर दे उर में भक्ति सुख,शान्ति दे दे अपरम्पार 
सृष्टि का आधार तूंही माँ जग की तूंहीं सृजनहार
मान सम्मान और समृद्धि दे दे कर सबका कल्याण
तेरे चरण में शीश नवाऊं माँ दे दे पावन चरणों में स्थान ।

तूं सबकी दुखहर्ता माँ तूं ही पालनहार 
सजा रहे दरबार तेरा तुम रक्षा की अवतार 
आई द्वार तेरे फैलाये झोली कर दे पूरे अरमान 
मेरी आस्था,विश्वास को दे दे बल मांगूं ये वरदान 
लगे सुहावन,मनभावन रूप तेरा ओ शेरा वाली माँ
तेरे नौ रूपों की करूँ उपासना बिगड़े बना दे सारे काम ।

सर्वाधिकार सुरक्षित 
शैल सिंह 




मैं और अहंकार पर कविता

जैसे धुएं के आवरण में अग्नि का गोला छुपा होता है
वैसे ही प्रत्येक अनुष्ठान तेरा अहंकार में घिरा होता है ।

बचपन कितना सुन्दर निश्चिंत था फिक्र नहीं था कोई 
असमंजस,शर्म की बात ना थी अहंकार नहीं था कोई 
खुश होने पर हँस लेते दु:ख में बिलख-बिलख रो लेते
डांट,फटकार के तुरन्त बाद माँ के गले लिपट सो लेते ।

जब से पग धरे बाहर 'मैं' रूपी विचित्र हवा में बह गये
सम्पूर्ण व्यक्तित्व हो गया बेपटरी संस्कार सब ढह गये 
'मैं" रूपी हवा से पिंड छुड़ा ज्ञान भंडार के द्वार खुलेंगे 
कड़वाहट भरे रिश्तों में तत्पश्चात सुमधुर सौहार्द घुलेंगे ।

मैं ज्ञानी मैं समर्थवान भ्रम में जीवन व्यर्थ बीत जायेगा
कर लें अहं विसर्जित,उर भव्य-दिव्य धाम बन जायेगा 
मैं भाव से मुक्त हो तुम परिपूर्णता का आनंद उठाओगे
वरना होगी प्रगति बाधित जीवन भर रो-रो पछताओगे ।

बुद्धि,शक्ति,सम्पत्ति,रिश्तों के,बावजूद विफल क्यों होते
करती ना 'मैं' की विडंबना भ्रमित हर कार्य सफल होते 
आध्यात्मिक जीवन भी प्रभावित 'मैं' के चक्रवात करेंगे
अहं के बंधन से कर लो जीवन मुक्त भगवन आ मिलेंगे ।


सर्वाधिकार सुरक्षित 
शैल सिंह 

मंगलवार, 21 मार्च 2023

ईश्क़ में टूटकर बिखर जाना अगर ईश्क़ है

कैसे भूले गली तुम शहर की मेरे
निशां अब तक जहाँ तेरे पग के पड़े हैं
खुला दरवाजा तकता राह आज तक तेरा
खिड़की पे पर्दे का ओट लिए अब तक खड़े हैं ।

तेरे दीदार को दिल तरसता मेरा
तेरे इन्तज़ार में कैसे दिल तड़पता मेरा
क्या जानो पगले दीवाने दिल का हाल तुम 
कि मेरा होकर भी तेरे लिए दिल धड़कता मेरा ।

ईश्क़ में जख़्म तूने मुझे जो दिया
उसे अंजुमन में मैंने भी आम कर दिया
ईश्क़ में टूटकर बिखर जाना अगर ईश्क़ है
टूटे ख़्वाबों की विरासत भी तेरे नाम कर दिया ।

जाने कैसे रिश्ते में दिल बंध गया
भूला धड़कना पर भूला नहीं नाम तेरा
मिले तो सफर में बहुत लोग मुझको मगर
तड़प,बेचैनी,उलझन में बस तूं तेरी याद चितेरा ।

तोड़कर सरहदें जिद्द की एकबार 
बता जाओ आकर हो ख़फ़ा क्यूँ बेज़ार 
ख़यालों में तेरे हुई बावरी मशहूर हो गई मैं
राह देखते अपलक थककर चूर-चूर हो गई मैं ।

सर्वाधिकार सुरक्षित 
शैल सिंह

दिखा दो जोश तरुणाई का

ऐ भारत के मेरे  नौजवानों ललकारो  अपने यौवन को  बाधाओं,व्यवधानों  को काटो, संवारो  अपने लक्ष्यों को,    भरो यौवन में साहस,संकल्प करो अद्भुत क...