हमें रत्ती भर भी मंजूर नहीं कोई भारत माँ पर आँख उठाये

हमें रत्ती भर भी मंजूर नहीं कोई भारत माँ पर आँख उठाये चाहे जितनी कर लो नारेबाज़ी कश्मीर नहीं हम देने वाले चाहे जीतनी चलो पैंतरेबाजी ये जागीर नहीं हम देने वाले हमें रत्ती भर भी मंजूर नहीं कोई भारत माँ पे आँख उठाये जिसे प्रिय है इतना पाकिस्तान जाके पाकिस्तान बस जाये , हमें नहीं ज़रुरत घाती गद्दारों,दुराचारी अलगाववादियों की कितने नमकहराम होते हैं हमारे ही टुकड़ों पर पलने वाले इन आस्तीन के साँपों को हमारा आदर,सत्कार नहीं भाता इनको चाहे जितना मक्खन दो होते मन के ये कपटी काले , हम नहीं कोई तमाशाई जो ख़ामोश अतिक्रमण इनका देखें ग़र हिंदुस्तान में इन्हें रहना है तो वन्दे मातरम कहना होगा उन्हें भी नहीं बख़्शना जिनकी सह पाकर मचा रहे बवण्डर इसी ज़मीं का गुण गाकर इन्हें हिन्द के लिए ही मरना होगा । शैल सिंह