रिटायरमेंट के बाद
रिटायरमेंट के बाद-- सोचा था ज़िन्दगी में ठहराव आयेगा रिटायरमेंट के बाद ऐसा पड़ाव आयेगा पर लग गया विराम ज़िन्दगी को अकेलापन,उदासी का चारों तरफ घेरा मौसम उदास होता है या मन समझ नहीं आता दिन कचोटता बीतती शाम तनहा तनहा कैसे कट रहा ज़िन्दगी का हर एक लमहा सेवानिवृत्त के बाद लगता जीवन कुछ रहा नहीं नौकरी थी तो कितने लोग साथ थे हमारे अब है केवल तन्हाई न कोई संगी न सहारे बस दो काम खाना और सोना ना बचा कोई काम ना धाम बस आराम ना कोई शौक बचा ना कोई इच्छा ना पहनावे ओढ़ावे का अंदाज रहा ना तो अब घूमने फिरने की वो ललक बहुत कचोटता अकेलापन,उदासी,रिटायरमेंट कितने यादगार पल हैं पर आज सब निष्काम कितनी शानदार थी नौकरी वाली ज़िन्दगी व्यस्त थे मस्त थे स्वस्थ थे हॅंसने बोलने के लिए लोग तो थे आज जैसी वीरानी तो नहीं थी बोरियत सी जिन्दगानी तो नहीं थी विश्राम भी रास आता नहीं सेवानिवृत्त का वरदान भी सुहाता नहीं कहां बड़े बड़े बंगले खुला खुला सहन और अब अपार्टमेंट का बंद बंद घुटा घुटा कक्ष मन में निराशाजनक और नकारात्मक बातों का आना रिटाय...