अभिव्यक्ति की आजादी है इसीलिए अभिव्यक्त किया है
अभिव्यक्ति की आजादी है  इसीलिए अभिव्यक्त किया   हम ध्वज चाँद पर फहरायेंगे क्षितिज का चाँद हमारा है  देखो तीन रंगों के बीच चक्र अभिप्राय बड़ा ही प्यारा है ,   तूं झंडे पर चित्र बना चाँद का,ध्यान रहे आधा अधूरा हो  आधे चाँद के बीचो-बीच में बस एक ही टंका सितारा हो  ,  पवन नीर सब अपना सूरज पर भी अधिकार हमारा है  आस्मा सहित चाँद के जुगनूँ तारे,सबपर राज हमारा है ,   जल ज़मज़म का पीकर भी तेरे मन का सोता ख़ारा है  यहाँ हर मन के सोते से फूटती गंगा की पावन धारा है ,   अपराध की फ़ेहरिस्तों से गदगद होता ख़ुदा तुम्हारा है  सद्गगुण,सुमार्ग,सत्कर्म से अभिभूत होता नाथ हमारा है ।                                                    शैल सिंह   
