गुरुवार, 12 सितंबर 2013

''हिंदी साक्षरता दिवस पर ये रचना''


''हिंदी साक्षरता दिवस पर  ये रचना''


रफ्ता-रफ्ता सेंध लगा अंग्रेजी
घर  में हिन्दी  के हुई  सयानी
मेहमाननवाजी में खाई धोखा
अपने  ही  घर  में हुई  बेगानी।

       जड़ तक दिलो दिमाग पर छाई
       चट कर दी भावों भरा खजाना
       बेअदब हर कोने ठाठ बघारती
       राष्ट्र भाषा हिदी भरती हर्जाना।

कितनी ढीठ है ये घाघ अंग्रेजी
किस दुनिया से  परा कर आई
हम पर  हावी  हो  ऐसे  फिरती
घर  में  हिंदी  की  बनी  लुगाई।

      वक्त की  मार  में  हो गयी  बीमार
      अंग्रेजी  महामारी  ने पाँव पसारा
      आलम आज कि सांसें गिन-गिन
      हिंदी  अपनी   देहरी   करे  गुजारा।

मदर्स ,टीचर्स ,फादर्स ,फ्रैंड्स  डे
चलन फलां ,ढेंका के  बढ़  चढ़के
इठलाती बोले ,संग खेले अंग्रेजी
घर  में  हिंदी  के  सर चढ़-चढ़ के।

       हिंदी दिवस का एक निवाला दे
       देश आजादी का विगुल बजाता
       राष्ट्र भाषा का कर घोर अनादर
       स्वदेशी  हिंदी को ठगा है जाता।

सुनने में  लगता कितना अजीब
हिंदी दिवस  मनाना  हिंदुस्तानी
दैवी  भाषा  किस  बिना पर तज
अंग्रेजियत  फैशन  मन में ठानी।

                                                    शैल सिंह





     


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