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जनवरी 15, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हम बस यही अब चाहते हैं

हम बस यही अब चाहते हैं सिकुड़कर अब सुरक्षा के कवच में सारी ज़िन्दगी हम नहीं रहना चाहते नजरिये सोच फ़ितरत में सभी के अबसे बदलाव हैं हम देखना चाहते । कड़ा भाई का ना हो हमपर पहरा  परिजन सभी के चिंतामुक्त हों ना पति बच्चों को हो फ़िकर कोई अकेले हों कहीं भी पर भयमुक्त हों । ना किसी अपराध का हो डर कहीं ना अश्लीलता,भद्दगी का घर कहीं दिन हो या रात हो या गली रिक्त हो नुक्कड़,राह निर्भय,निडर,उन्मुक्त हो । ना हो हावी किसी पर असभ्यता लोक लाज हो,हो हया में मर्यादिता  दिखे हर मर्द की आँखों में निपट निज माँ,बहन,बेटियों सी आदर्शिता  ना दरिंदों,दनुज की ग्रास बनें बेटियां ना निर्मम दहेज की बलि चढ़ें बेटियां ना कहीं दुष्कर्म,पाप का हो जलजला ऐसा अमन हो देश में सबका हो भला । ना आतंक,जिहाद का हो डर,भय कहीं सफ़र बेफिक्र हो दुर्गम भले हो पथ कहीं असुरक्षा के भाव से ना हो भयभीत कोई  साथ किसी मज़हब का हो मनमीत कोई ।

कुछ शेर

                   कुछ शेर  1-- मेरे सुकून भरे लमहों में क्यों आते हैं ख़याल तेरे  मेरी सोई हुई तड़प को क्यों जगा जाते हैं याद तेरे जैसे सारी रात परेशाँ रहती मैं,रहतीं पलकें बोझल  वैसे तेरे भी ख़्वाबों में शब भर करें तफ़रीह याद मेरे । 2-- हर रात ख़्वाबों में आते हों क्यों,बेहिसाब सताते हो क्यों  सताने का तरीक़ा भी लाजवाब,सामने नहीं आते हो क्यों  जागती तो दिखाई देते नहीं,सोने में दीदार कराते हो क्यों  तेरे शौक़ भी अजीब हैं यार,जगाकर याद दिलाते हो क्यों । 3-- जिन अल्फाज़ों में पिरोई थी मैंने सिसकियाँ मेरी सबने लफ्ज़ों के मर्म को समझा बस शायरी मेरी कोई भी ना समझा अश्क़ों में भींगे हुए मेरे दर्द को  खोल रख दी लिखी काजल से ज़िन्दगी डायरी मेरी । 4--- ग़र चल ना सको साथ मेरे तुम ज़िन्दगी भर तो दे देना सारी ज़िन्दगी तूं अपनी मुझे उम्र भर न कभी याद आओ तुम मुझे ना आऊँ याद मैं तुझे  चाहें टूट कर इस तरह कि हो जायें पागल इस क़दर । 5-- बेखटके ना आया करो यादों मेरी दहलीज़ पर तुझे कब का लटका चुकी हूँ  मैं तो सली...