सोमवार, 16 जनवरी 2023

हम बस यही अब चाहते हैं

हम बस यही अब चाहते हैं


सिकुड़कर अब सुरक्षा के कवच में
सारी ज़िन्दगी हम नहीं रहना चाहते
नजरिये सोच फ़ितरत में सभी के
अबसे बदलाव हैं हम देखना चाहते ।

कड़ा भाई का ना हो हमपर पहरा 
परिजन सभी के चिंतामुक्त हों
ना पति बच्चों को हो फ़िकर कोई
अकेले हों कहीं भी पर भयमुक्त हों ।

ना किसी अपराध का हो डर कहीं
ना अश्लीलता,भद्दगी का घर कहीं
दिन हो या रात हो या गली रिक्त हो
नुक्कड़,राह निर्भय,निडर,उन्मुक्त हो ।

ना हो हावी किसी पर असभ्यता
लोक लाज हो,हो हया में मर्यादिता 
दिखे हर मर्द की आँखों में निपट
निज माँ,बहन,बेटियों सी आदर्शिता 

ना दरिंदों,दनुज की ग्रास बनें बेटियां
ना निर्मम दहेज की बलि चढ़ें बेटियां
ना कहीं दुष्कर्म,पाप का हो जलजला
ऐसा अमन हो देश में सबका हो भला ।

ना आतंक,जिहाद का हो डर,भय कहीं
सफ़र बेफिक्र हो दुर्गम भले हो पथ कहीं
असुरक्षा के भाव से ना हो भयभीत कोई 
साथ किसी मज़हब का हो मनमीत कोई ।









कुछ शेर

                   कुछ शेर 


1--
मेरे सुकून भरे लमहों में क्यों आते हैं ख़याल तेरे 
मेरी सोई हुई तड़प को क्यों जगा जाते हैं याद तेरे
जैसे सारी रात परेशाँ रहती मैं,रहतीं पलकें बोझल 
वैसे तेरे भी ख़्वाबों में शब भर करें तफ़रीह याद मेरे ।
2--
हर रात ख़्वाबों में आते हों क्यों,बेहिसाब सताते हो क्यों 
सताने का तरीक़ा भी लाजवाब,सामने नहीं आते हो क्यों 
जागती तो दिखाई देते नहीं,सोने में दीदार कराते हो क्यों 
तेरे शौक़ भी अजीब हैं यार,जगाकर याद दिलाते हो क्यों ।
3--
जिन अल्फाज़ों में पिरोई थी मैंने सिसकियाँ मेरी
सबने लफ्ज़ों के मर्म को समझा बस शायरी मेरी
कोई भी ना समझा अश्क़ों में भींगे हुए मेरे दर्द को 
खोल रख दी लिखी काजल से ज़िन्दगी डायरी मेरी ।
4---
ग़र चल ना सको साथ मेरे तुम ज़िन्दगी भर
तो दे देना सारी ज़िन्दगी तूं अपनी मुझे उम्र भर
न कभी याद आओ तुम मुझे ना आऊँ याद मैं तुझे 
चाहें टूट कर इस तरह कि हो जायें पागल इस क़दर ।
5--
बेखटके ना आया करो यादों मेरी दहलीज़ पर
तुझे कब का लटका चुकी हूँ  मैं तो सलीब पर 
कुछ हसीन लमहों को मान लूँगी वो ख़्वाब था
ज़िंदगी को छोड़ दिया हमने उसके नसीब पर 
6--
दर्द छुपाते,छुपाते मैंने मुस्कुराना सीख लिया 
चुप रहते-रहते चुप से गुनगुनाना सीख लिया
खलती नहीं है अब तन्हाई,क्यूँकि तन्हाई का
तन्हा सफर तय करना तन्हा मैंने सीख लिया
7--
उनसे नज़र क्या मिली आँखें हुईं चार 
होंठ बुदबुदाये भी नहीं और हो गया प्यार 
बड़ी जल्द ब्रेकअप भी ताज़्जुब है यार
इतना जल्द तो चढ़ता उतरता नहीं बुखार ।
8--
रोज घूमते हम साथ-साथ हाथों में डाले हाथ
मगर नहीं हुआ कभी असलियत का आभास 
छुपाती रही मेकअप के पर्त में वो मुहासों के गढ्ढे 
शादी के बाद खुली पोल तो देख हो गया बदहवास ।
9--
मैंने पर्दा तो किया था उनसे मगर
पर्दे के भीतर से थी बस उनपे नज़र
उनको भी हो गई जाने कैसे खबर
ऐसा हुआ वाकया बन गये हमसफ़र ।
10--
जैसे ख़ुद को तपा चमकता सूर्य क्षितिज पर
वैसे हम भी संघर्षों की तपिश में तपें क्षिति पर
मुश्किलें भी हार जायेंगी जो राह रोके खड़ी थीं
खबर बन जायेगी स्याही अख़बारों की भीत पर ।
11--                         
मेरी क़ामयाबी के पीछे का संघर्ष देखा होता
मेरे पांवों के तलवों का खूनी फ़र्श देखा होता
बहुतों बार बिखरी साज़िशों का शिकार हो मैं
कैसी चुनौतियों से लड़ मिला अर्श देखा होता ।
12--
पहले ही तुम अपने इरादे बता दिये होते 
साथ निभाने के झूठे वादे ना किये होते
जरा भी अन्दाज़ा होता ऐसे भुला दोगे तुम 
तो इन्तज़ार में तेरे इस क़दर ना टूटे होते ।

होली पर कविता

होली पर कविता ---- हम उत्सवधर्मी देश के वासी सभी पर मस्ती छाई  प्रकृति भी लेती अंगड़ाई होली आई री होली आई, मन में फागुन का उत्कर्ष अद्भुत हो...