गले लग प्रेम का सूता सुलझाओ तो जानें
गले लग प्रेम का सूता सुलझाओ तो जानें ओ भारत के युवा प्रहरी जाबांज़ सिपाही कभी ना होना गुमराह बेतर्कों के झांसों में , बो कर नफ़रत का बीज भीड़ जुटाने वालों प्रेम मोहब्बत की ख़ुश्बू बिखराओ तो जानें क्यूँ निस्प्रयोजन तुम उलझाते हो आपस में गले लगा प्रेम का धागा सुलझाओ तो जानें , जन-मन की पूछ रही हैं सवालिया निग़ाहें कहाँ गयी पहले वाली रौनक़ त्योहारों की सहमे भय,आतंक से बच्चे,बूढ़े,जवां पूछते कहाँ गयी पहले वाली धूमधाम बाज़ारों की , कैसे ग्रहण लगा जीवन के मुस्काते रंगों को कहाँ गया सम्मोहन हरे खेत खलिहानों का खुद जीओ देश ,समाज ,पड़ोस को जीने दो होली जला,उपद्रवी कुंठित सोच विचारों का , सपनों का महल बनेगा सजेगा,संवरेगा तब जब रक्षा करना सीखोगे दर औ दीवारों की अनेकता में एकता क्या होती दिखलाना है आवश्यकता है बेहतर जीवन में सौहर्द्रों की , प्रेम मोहब्बत इतना प्रगाढ़ बलवान बनायें सामाजिक समरसता के लिए आह्वान करें इंसान,दोस्ती की तस्वीर उजागर कर देखें मिलकर नफ़रत की खाई को शर्मसार करें...