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" निराकार ईश्वर पर कविता "

" मेरे सर्वव्यापी साईं,कहाँ-कहाँ ढूंढी हर घड़ी मैं " घनघोर  आँधियों से  लड़ता  रहा दीया सारी रात तेरी याद में जलता रहा पिया, चैन दिन नहीं नींद आती नहीं है रात रूतों ने ख़ूब ठगा है दे दे के झूठी आस भरा आँखों में समन्दर बुझती नहीं है प्यास प्रभु दरश को तेरे  क्या-क्या लगाती रही कयास, प्राणों की  दे दे आहुति  घुलता रहा दीया सारी रात तेरी याद में पिघलता रहा पिया घनघोर  आँधियों  से  लड़ता  रहा   दीया सारी रात  तेरी याद में सुलगता रहा पिया । आकाश में पाताल में,गिरि,कन्दरा,गुफ़ा में पर्वत,शिखर में हेरा रे कण-कण चहुँदिशा में उपत्यका में ढूंढा प्रभु दिग्-दिगन्त मधु निशा में किस गह्वर में है समाधिस्थ,बता दे किस विभा में, निर्वस्त्र  बारिशों  में  भींगता  रहा  दीया सारी रात तेरी याद  में गलता रहा पिया घनघोर  आँधियों से  लड़ता  रहा  दीया  सारी रात तेरी याद में तड़पता रहा पिया । वेदों में तुझको ढूंढा,गीता,बाइबिल,कुरान में प्रत...