अहोभाग्य उत्तर प्रदेश का
योगी जी के मुख्यमन्त्री बनने पर कविता अब होगा उत्तर प्रदेश का उन्नयन कंवल फूल खिला जन-मन के उपवन , इक संत की हुई है ताज़पोशी कितनी हनक,धमक के साथ अरे अहोभाग्य उत्तर प्रदेश तेरा रच डाला जनमत ने इतिहास , हाथी का मद चूर-चूर हुआ चारों खाने चित पड़ी निढाल खिसियानी बिल्ली सी खम्भा नोचे छाती पीटे बना ईवीएम को ढाल , हाय घोंचू पंजा ने कर दिया कैसा साईकिल भैया का बदतर हाल इतनी गहरी खाई में ढकेला कि बिखर गया बिछा शतरंजों का जाल , अस्तित्व झाड़ू का खतरे में खा-खाकर खुजलीवाले से ख़ार टूटकर बिखर रहा एक-एक सींका जाने अब क्या होगा अगली बार , लालटेन इतना भी मत भभको आँधी नहीं इस बार की बख़्शेगी बाती पर रखना कस लग़ाम [ ज़ुबान पे ] जनाधार की कैंची ही कतरेगी, टकरा-टकरा राष्ट्रवादी ताक़तों से हवाएं भी गईं चहुँओर की हार सहर्ष लिपट गईं आकर गले पुष्प बन,योगी जी के गले का हार , साहूकार बनकर जो लूट रहे थे धड़ाधड़ सरकारी ख़ज़ानों का माल अकल उनकी भी ठिकाने लगा दिए ख़ुद उनके अपने ही सियासी चाल , और कितने दिन छलते देशद्रोही छद्म पाठ साम्प्रदायिकता का पढ़ाकर ऐसा ज...