बता दो शेरों क्या औक़ात तेरे हिंदुस्तान की,
' वीर रस की कविता ' सीमाओं पर तो सब कुछ सहते तुम सेनानी फिर किस आक़ा के ऑर्डर का इन्तजार है आत्म रक्षा के लिए वीरों तुम पूर्ण स्वतंत्र हो हैवानों से निपटने का तुम्हें पूर्ण अधिकार है, स्वयं के जान की कीमत समझो सिपाहियों दुश्मनों पर दागो गन ,बारूद औ एटमबम कायर बन कर राक्षसों के वंशज करते वार छप्पन गज सीने से टकराने का नहीं है दम, खद-खद ख़ौल रहा जो आज खून जाबांजों इतना ख़ौफ़ दिखा फट जाए पाकिस्तान की बहुत खोये हैं लाल भारत माँ ने आज तलक बता दो शेरों क्या औक़ात तेरे हिंदुस्तान की, ऐसा उठा बवंडर शान,आन की बात सपूतों घर के मित्र-शत्रु का फर्क भी ध्यान में रखना बहुत हुई गाँधीगिरी मानवीयता बहुत दर्शाये असमंजस क्यों,पैलेटगन हिफ़ाजत में रखना, मुहूर्त बहुत ही अच्छा दुश्मन मार गिराने का मटियामेट इन्हें करना संकल्प ठानो दिग्गज़ों प्रीत पड़ोसी नहीं जानता बार-ब...