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नवंबर 17, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ग़ज़ल '' मोहब्बत एक हसीं है ख़ाब ''

वो मेरे दिल की धड़कन हैं मैं उनके दिलो जां की धड़कन हूँ अगर आँखों में नहीं आतीं मेरे चैन की नींदें तो उनके भी ख़्यालों की मैं मीठी-मीठी तड़पन हूँ।   वो मेरे हर जिक़्रों में हरदम मैं उनके हर जज़्बातों में हरदम क़रन वो भोर की मैं उनकी शाम शीतल सी मैं उनकी दीवानगी में तो वो मेरे ख़्वाबों में हरदम। जब से दीदार हुआ उनका हर वक्त ऑंखें बेक़रार रहती हैं यकीं इतना मुझे ऐसे ही वो भी बेज़ार रहते हैं  वो मेरे लिए हैं खास मेरी भी उन्हें परवाह रहती है। दिल की बेबसी का आलम दिल समझता नैन हैरान रहते हैं अहसासों को समझने को बिछड़ना जरुरी है   मिठास दर्दों में भी होती भले हम परेशान रहते हैं। मोहब्बत एक हसीं है ख़ाब किस्मत से ख़फा ग़र ख़ुदा न हो   ज़रा सी ज़िन्दगी में बेहिसाब मेला मुरादों का हर लम्हा हो ख़ियाबां सा हसीं मुहब्बत जुदा न हो। क़रन--किरण    ख़ियाबां--पुष्पवाटिका सर्वाधिकार सुरक्षित शैल सिंह 

ग़ज़ल '' पी आँसुओं का सैलाब समन्दर हूँ बन गई ''

'' पी आँसुओं का सैलाब समन्दर हूँ बन गई '' क्यों मेरे ख़्यालों में आते हो तुम बार-बार दिल के साज़ों का छेड़ जाते हो तार-तार मेरी वीरानियाँ भी महकतीं सदा फूल सी क्यों करते तन्हाईयों  से यादों का व्यापार , एक दर्द दहकता हुआ छोड़ कर सीने में अक़्सर आजमाते हो टूट बिखर जाने को हो गई दिल्लगी दिल के कैसे सौदाग़र से कि चाहतें हुई मज़बूर तुम्हें भूल जाने को , किन कुसूरों की सजा में थी बेवफाई तेरी वफ़ा की  दरिया पहल की तूफां लाने की क्या कसर बाकी रह गयी थी मेरे प्यार में असाध्य मर्ज़ मिली तुमसे दिल लगाने की , तेरे दिए दर्दों की ही कैफ़ियत है ये ग़ज़ल रियाज़ रोज करूं दर्द छुपा गुनगुनाने की किन कण्ठों से गाऊँ मैं जज़्बात शौक से भींगा लफ़्ज़ भी उदास होता शायराने की , न नफ़रत मुक़म्मल न याद मिटा पाना ही    बग़ैर तेरे जीने की करके नकाम कोशिशें पी आँसुओं का सैलाब समन्दर हूँ बन गई बेलग़ाम कश्ती में खे...