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फ़रवरी 16, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

" जपूं मैं शिव का नाम "

आज महाशिवरात्रि का पावन दिन उमड़ी भक्तों की भीड़ देवालय में हर-हर महादेव का तुमुल उद्घोष गूंज रहा है सभी शिवालय में , कर में त्रिशूल हैं धारे शिव गले सर्प की माला तन पर भष्म रमाये कण्ठ में विष का प्याला , जटा में गंगा की धारा नंदी की करें सवारी बड़े कृपालु शिव भोले कहलाते त्रिनेत्र त्रिपुरारी , मन बसे शिव शंकर भोला मन ही मेरा शिवाला भक्ति में उनके लीन सदा वही जीवन में भरें उजाला , क्षीर,बेर,बेलपत्र,धतूरा आह्लादित पी भंग की हाला कैलाश गिरि पे डाले बसेरा ताण्डव करें पेन्ह मृगछाला , घोर हलाहल विष पीकर शिव नीलकंठ कहलाए  सोहे गले मुण्ड की माला   शिव औघड़दानी कहलाए , जब-जब संकट मंडराए घेरें बुरी बला के साये कालों के काल महाकाल पल में सारे कष्ट मिटायें , बसे रोम-रोम में शिव मेरे जपूं मैं शिव का नाम स्तुति करने से ही मात्र बन जाते सब बिगड़े काम । सर्वाधिकार सुरक्षित  शैल सिंह

" वसंत पंचमी " पर कविता

" वसंत पंचमी " पर कविता आओ वसंत पंचमी पर्व मनायें प्रकृति ने ली अंगड़ाई है  वासंती परिधान का जलवा चहुं ओर खिली तरुणाई है।   मन रंगा वसंती रंग में  और रंग गई सगरी जहनियां झूर-झूर बहे मलयज का झोंका ऋतुराज करें अगुवनियां ,मन रंगा  .... | चन्दा लुक-छुप करे शरारत  ओट से चकोर निहारे चंदनियां मधुऋतु की शुभ्र सुहावन बेला   बेली,पल्लव ताने पुष्प कमनियां ,मन रंगा  ... | पपिहा,कोयल,बुलबुल चहकें  रून-झून नाचे मोर-मोरनियां नवल सिंगार कर प्रकृति विहँसे  वन भरें कुलाँचे हिरनियां ,मन रंगा  ….|  महुवा मद में रस से लथपथ  अमुवा मऊर बऊरनियां  निमिया फूल के गहबर झहरे  हरियर पात झकोरे जमुनियां ,मन रंगा  ....| हरषें बेला,चमेली,चंपा  भ्रमरे गुन-गुन गायें रागिनियां  पीत वसन पेन्हि ग़दर मचाये  सरसों चढ़ी बिंदास जवनियां ,मन रंगा  ....|  ठसक से आये वसंती पाहुन  सतरंगी ओढ़ी ओढ़नियां  पतझर सावन सा मुस्काया  पिक बोले पुलकित कू-कू वनियां ,मन रंगा  ....|  टेसू,केसू,ढाक पल्लवित पलास  रूप...