" जपूं मैं शिव का नाम "
आज महाशिवरात्रि का पावन दिन उमड़ी भक्तों की भीड़ देवालय में हर-हर महादेव का तुमुल उद्घोष गूंज रहा है सभी शिवालय में , कर में त्रिशूल हैं धारे शिव गले सर्प की माला तन पर भष्म रमाये कण्ठ में विष का प्याला , जटा में गंगा की धारा नंदी की करें सवारी बड़े कृपालु शिव भोले कहलाते त्रिनेत्र त्रिपुरारी , मन बसे शिव शंकर भोला मन ही मेरा शिवाला भक्ति में उनके लीन सदा वही जीवन में भरें उजाला , क्षीर,बेर,बेलपत्र,धतूरा आह्लादित पी भंग की हाला कैलाश गिरि पे डाले बसेरा ताण्डव करें पेन्ह मृगछाला , घोर हलाहल विष पीकर शिव नीलकंठ कहलाए सोहे गले मुण्ड की माला शिव औघड़दानी कहलाए , जब-जब संकट मंडराए घेरें बुरी बला के साये कालों के काल महाकाल पल में सारे कष्ट मिटायें , बसे रोम-रोम में शिव मेरे जपूं मैं शिव का नाम स्तुति करने से ही मात्र बन जाते सब बिगड़े काम । सर्वाधिकार सुरक्षित शैल सिंह