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मैं तो ऐसी नगीना थी ऐ संग दिल तराशकर हीरे सा तुम निखारे तो होते

मैं तो ऐसी नगीना थी ऐ संग दिल तराशकर हीरे सा तुम निखारे तो होते आती अवरोधों की तोड़ जंजीरें सब कभी आवाज़ दे तुम पुकारे तो होते , टूटे दिल की किरिचें संभाले है रखा जोड़कर रेज़ों को तुम निहारे तो होते मैं तो ऐसी नगीना थी ऐ संग दिल तराशकर हीरे सा तुम निखारे तो होते । भोली मस्ती थी नादां से अहसास थे नाज़-नखरे कभी तुम संवारे तो होते , मोम की गुड़िया सी मैं जाती पिघल प्यार की आँच से तुम दुलारे तो होते , मैं तो ऐसी नगीना थी ऐ संग दिल तराशकर हीरे सा तुम निखारे तो होते । छोटी-छोटी मेरे ख़्वाहिशों की मीनारें मन समंदर उतर तुम विहारे तो होते , हद-ए-बेरूख़ी पर सब्र का बांध तोड़ा गाल गीले कभी तुम पुचकारे तो होते , मैं तो ऐसी नगीना थी ऐ संग दिल तराशकर हीरे सा तुम निखारे तो होते । भावों की बह नदी डूबी  उतरायी मैं  भावों की लहरों पर तुम उतारे तो होते , जग के ताने, छींटे, व्यंग्य,फिकरे सहे तंज के झंझावात से तुम उबारे तो होते , मैं तो ऐसी नगीना थी ऐ संग दिल तराशकर हीरे सा तुम निखारे तो होते । तुम ज़िद पर अड़े मैं अपनी उम्मीद पर कशमकश की ढहा तुम दीव...