हे प्रभो
हे प्रभो आस्था श्रद्धा की अविरल बौछार प्रभो जलधार समझ कर पी लेना , मेरी निष्ठा,नैतिकता,पुनीत कर्म को प्रभो अगर,अक्षत गंध बना लेना , मेरी साधन क्षमता ही तेरा नैवेद्य प्रभो सम्पदा का चन्दन घिस लेना , करुणा दया सद्दभाव समझ भोग प्रभो सद्द्गुणों का दीप जला लेना , चरण रज सामर्थ्य का पुष्प अर्पित प्रभो अनुकम्पा असीम बरसा देना , अस्तित्व तेरा जग में है अन्तर्यामी प्रभो अद्वैत चमत्कार दिखला देना , मन का मनोरथ तिरोहित कर देना प्रभो विश्वास बलवान बना देना । शैल सिंह