वसन्त तेरे आ जाने से
वसन्त तेरे आ जाने से लगे नई नवेली दुल्हन सी प्रकृति हुई उल्लासमयी मन मोहक शाम सुहानी हुई लगे पवन आनन्दमयी , वसंत तेरे आ जाने से । ओढ़ पीताम्बरी ओढनी लहरें फसलें हरे-भरे खेतों में खिलखिला रहे पुष्प वाटिका रंग-विरंग विभिन्न वेशों में , वसंत तेरे आ जाने से । मदमस्त हुई हैं चतुर्दिशाएं मह-मह सुगन्ध है पसरी लदर गए अमुवा मंजर से केश मौलश्री की फहरी , वसंत तेरे आ जाने से । सम्पूर्ण प्रकृति के प्रति मन में स्फुरण प्रेम का होने लगा असीम ऊर्जा संचरित हुई हर कार्य उत्साह से होने लगा , वसंत तेरे आ जाने से । नव श्रृंगार हुआ प्रकृति का मादक वातावरण हुआ है रंगी वसंतोत्सव में सृष्टि सारी ज्ञान,विवेक का वरण हुआ है , वसंत तेरे आ जाने से । साहित्य,कला,संगीत की जननी माँ सरस्वती का हो रहा वन्दन् वसंतपंचमी शुभ पर्व मनाकर ऋतु किया तेरा सबने अभिनन्दन , वसंत तेरे आ जाने से । शैल सिंह