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'शबनमीं मोती'

                  शबनमीं मोती अश्क़ों का जाम पीते उम्र तन्हा गुजार दी  एहसान आपने जो ग़म मुफ़्त में उधार दी।         वफ़ाओं के क़तरे भीगोयेंगे कभी दामन तेरा        जब चुपके से तोड़ेंगे ज़ब्त ख़यालों का घेरा।  लाखों इनायत करम आरजूवों प्यार में  लम्हा-लम्हा काटा सफ़र है बेक़रार में।          बहुत अख़्तियार था बेज़ुबाँ दर्द पे साथियों           उदास टूटे नग़मों की जमीं पे गर्द साथियों।  मुस्कराती रही दिल जला बेशरम चाँदनी  मखमली आँचल भिंगोती बेमरम चाँदनी।