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मार्च 6, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

उत्तर प्रदेश में बीजेपी की जीत पर एक भोजपुरी कजरी

  उत्तर प्रदेश में बीजेपी की जीत पर एक भोजपुरी कजरी                      आज की हवा बड़ी सुहानी लग रही है             कैसे ना बहूँ सुनामी की इस लहर में             ये सुनामी भी बड़ी रूहानी लग रही है             ख़ुशियों पर अंकुश लगाना बड़ा मुश्किल             ये लहर भी विरोधियों को कहानी लग रही है । जैसे कि——- भगवा रंग में हम रंगाईब चुनरिया पिया मंगा द रंग केसरिया पिया ना ले हाथे में कमल क झंडा  जाईब हम नहाये गंगा जी भर देखबैं काशी हम नगरिया पिया मंगा द रंग केसरिया पिया ना, सुन बाबा क प्रचंड जीत  बजाके ढोल गाईब गीत  जाके बुलडोज़र बाबा के शहरिया पिया मंगा द रंग केसरिया पिया ना, ख़रीद दा एक ठो गाड़ी रंग केसरिया पहिनी साड़ी दौड़ाईब वेग में चतुर्भुज डगरिया पिया मंगा द रंग केसरिया पिया ना, अबहीं त बाटे होली दूर जनता जीत के नशा में चूर भरि मारे हैं गुलाल पिचकारिया पिया मंगा द र...

काश तुम भी होते वैरागी विछोह में मेरे

काश तुम भी होते वैरागी विछोह में मेरे पथ हेरें सजल नयन,विचलित सा मन रेशमी धोती धुमिल कंचुकी भींजा तन , प्रणय का उद्भव  हृदय में तुम्हारे लिए जीवन नि:सार लगे बिन तुम्हारे सजन साज श्रृंगार, आह्लाद , आनन्द, त्यौहार  सब निरर्थक  लगे बिन  तुम्हारे  सजन , ढल रही  ज़िन्दगी,साँझ  ढले जिस तरह लकीरें आनन पे  चिन्ताएं खींचे जा रहीं  सुकोमल कमनीय काया की हौले-हौले निरन्तर जर्ज़र सब शाखाएं हुए जा रहीं , रमणीयता सुहाती नहीं चाँदनी रात की दहकता अंगारा चाँद की शीतलता लगे  कैसे करें व्यक्त उर के उद्गार,रोके हया निरर्थक उन्मत मिलन की  विह्वलता  लगे , पलकों के मुंडेर पर भी नींद आती नहीं सपने सूने नयनों में बिचरा करें रात भर बीती घड़ियों के द्वंदों से उठे उर कसक सलवटें करवटों  से मुज़रा करें रात भर , मेंह दृग हो गए उदधि सा आँचल हुआ लहरों की भाँति उफनती सकल वेदना किस घड़ी  रोपे प्रीत  पुष्प निर्मोही तुम पल्लवित  हो झुलसती  विकल कामना , क्यों उर तेरे यही भाव उत्पन्न होते नहीं ऐ प्रियतम निर्जीव,निष्प्राण...