बेटियों की महत्ता पर कविता
बेटियों की महत्ता पर कविता '' '' सुराख आस्मां में कर दें इतनी ताब हैं रखते हम '' हम वो फूल हैं जो महका दें अकेले पूरे चमन को ,हम वो दीप हैं जो रोशनी से भर दें अकेले पूरे भवन को, हम वो समंदर हैं जो तृप्त कर दें सारे संसार को, और समेट भी लें अपने आगोश में सारी कायनात को, हम चाहें तो स्वर्ग उतार लाएं आसमान से । गर हम बेटियां ना होतीं विपुल संसार नहीं होता गर ये बेटियां ना होतीं ललित घर-बार नहीं होता गर बेटियां ना होतीं भुवन पर अवतार नहीं होता गर हम बेटियां ना होतीं रिश्ते-परिवार नहीं होता । हमने तोड़ के सारे बन्धन अपनी जमीं तलाशा है दृढ़ इरादों के पैनी धार से अपना हुनर तराशा है हमने फहरा दिया अंतरिक्ष में अस्तित्व का झंडा सूरज के शहर डालें बसेरा मन की अभिलाषा है । झिझक,संकोच शर्म के बेड़ियों की तोड़ सीमाएं हौसले को पंख लगा निडर उड़ने को मिल जाएं सुराख आस्मां में कर दें इतनी ताब हैं रखते हम बदल जग सोच का पर्दा हमारी शक्ति आजमाए । मूर्ख से कालिदास बने ...