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ज़िन्दगी पर कविता

ज़िन्दगी पर कविता  दो पल की ज़िंदगी है दो पल जियें ख़ुशी से हंसकर मिलें ख़ुशी से  खुलकर हंसें सभी से। बचपन में खेले हम कभी चढ़के आई जवानी फिर आयेगा बुढ़ापा ख़त्म फिर होगी कहानी न कुछ लेकर आये थे न ही कुछ लेके जायेंगे न होगा दिन ऐसा सुहाना न रात ऐसी सुहानी। दो पल की ज़िन्दगी है दो पल जियें ख़ुशी से हंसकर मिलें ख़ुशी से  खुलकर हंसें सभी से। बीता कल न कभी आया न ही आने वाला है  बस आज में जियें यह पल भी जाने वाला है। कल की फ़िक्र में ना कभी आज को गंवाइए  कर मीठी मीठी बातें रूठों को मनाने वाला है। दो पल की ज़िंदगी है दो पल जियें ख़ुशी से हंसकर मिलें ख़ुशी से  खुलकर हंसें सभी से। हम मीठी बोली बोलें घोलें रिश्तों में मिठास  गुनगुनाते जियें ज़िन्दगी महकायें हम सुवास हम लुटायें सब पर नेह नये सम्बन्ध बना कर  सफ़र ज़िन्दगी का चलें मिलकर सबके साथ। दो पल की ज़िंदगी है दो पल जीलें ख़ुशी से हंसकर मिलें ख़ुशी से खुलकर हंसें सभी से। जवानी तो काटी सुनहरे भविष्य की आस में  पर भविष्य बुढ़ापे का रूप धार खड़ी पास में  लौट न आने वाले लम्हों की याद में खुश रहें ...

शायरी

शायरी--- निगाहों के रस्ते दिल में उतरकर बिन कहे जाने क्या से क्या कह गये रूह तक मेरा अपने वश में कर लिया  जाने क्या क्या दिल पर पैगाम लिख गये। ऐ ख़ुदा उसको भूलना गवारा नहीं  उससे मिला दे तो तेरा क्या जायेगा  थोड़ा करले फिक्र मोहब्बत वालों की इतनी सी कर दे खता तेरा क्या जायेगा। मेरी चाहत का जादू तुझपे ऐसा चला कि तुम एहसास दिल में छुपा ना सके जो दिल की धड़कीं धड़कनें मेरे लिए  आवाज़ मुझ तक ना आने से छुपा सके। मत इस तरह मेरे ख्वाबों में आया करो मचल उठता है दिल मोहब्बत के लिए  मत सांसों में इस तरह आया जाया करो अधर फड़क उठते हैं गुनगुनाने के लिए। तेरी मोहब्बत में दुनिया का हर रंग फीका तेरी सोहबत में आकर जाना क्या चीज़ है  ख्वाब बनकर तुम आओ ना मेरे ख्वाबों में  भटके मुसाफ़िर नहीं तुम बहुत अज़ीज़ हो। तुझे पाकर दुनिया का सब कुछ पा लिया  अब ख़ुदा से कुछ मांगने की जरूरत नहीं  भले ही अब चाहे ख़ुदा हो नाराज मुझसे  जब तुम्हीं मिल गये किसी की जरूरत नहीं। सर्वाधिकार सुरक्षित  शैल सिंह