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जनवरी 16, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ठंडी के मौसम पर कविता

      “ ठंडी के मौसम पर कविता “ सर्दी तूं बड़ी बेदर्दी है लगती बर्फ़ से भी तूं ठंडी है धुंध में लिपटे सूर्य देवता नहीं किसी से हमदर्दी है , कुहासों से टपकतीं बूँदें दिखतीं रूई के फाहों सी काँपते बूढ़े, बच्चे,जवान ठिठुरन टीसती घावों सी , मुँह उगले सिगार सा धुँआ देगी कब गर्मी दस्तक पल-पल कॉफी,चाय के गरम चुस्कियों की तलब , रोज़ नहाना बड़ा अखरता याद आ जाता बचपन ठंडी के मौसम में होता सूरज का भी दुर्लभ दर्शन , मख़मली हवा भी नहीं सुहाती चुभती तीरों जैसी  किट-किट बजते दाँत काम करे ना मफ़लर,जर्सी , कुहरे का धारे अंगरखा फ़िज़ा ठंड से है अनबूझ  शीत लहर का भी प्रकोप उस पर बारिश की बूँद , ढल जाती साँझ भी जल्द होती लम्बी-लम्बी रात पक्षी भी दुबक जाते नीड़ में देती ऐसी सर्दी मात , लस्सी,शरबत,आइसक्रीम,दही लिए तरसता मन खाँसी,जुकाम से सभी बेज़ार उसपे कोरोना बम , अलाव तापती मजलिसें याद आता अपना गाँव  छिम्मी छिलती आजी,काकी आँगना वाला ठाँव , नये भात के साथ निमोना घुघनी औ रस कच्चा बैठकर खाना गुनगुनी धूप में रेवड़ा,चिउड़ा,गट्टा , कहाँ गया वो दौर सुहाना जहाँ थीं ख़ुशियाँ हर्ष ...

योगी जी पर कविता

योगी जी पर कविता  जन सेवा के यज्ञ लिये ही जग में अवतार लिया है योगी,मोदी ने भ्रष्टाचारियों,माफ़ियाओं के हवन का प्रण लिया है योगी मोदी ने, जब त्रस्त हुआ उत्तर प्रदेश  अनियंत्रित,अनाचारों ,व्यभिचारों से जर्जर सड़कें,बिजली गुल चोर,डकैतों,दलितों पर अत्याचारों से, तब निकल पड़ी आवाम निलय से कीचड़ में कमल खिलाने को वर्चस्व का सवाल,भूल न जाना यूपी वालों योगी को जिताने को, सिर चढ़ रंग केसरिया बोला भगवा धार लिया हिन्दुओं ने चोला बस नेतृत्व चाहिए बाबा जी का जय श्रीराम हर समूहों ने बोला, देख लो गंगा की विचलित धारायें ख़ुश हो खेल रहीं हैं लहरों से यमुना का मलिन किनारा भी कर रहा विहंस क्रीड़ा है किरणों से, योगी आदित्य नाथ के रामराज्य में उजड़ा उपवन भी मुस्काता है योगी की योजनाओं का नग़मा सुधरे दुर्दिनों का दिल भी गाता है, हाथी,पंजा,झाड़ू, साइकिल,पतंग का पड़ा  केसरिया से पाला है  कहते गर्व से योगी बाबा,एक हाथ में माला एक हाथ में भाला है, योगी,मोदी के दीवाने कमर कसे हर ज़िले में कमल खिलाने को वंशवाद नहीं चलेगा ठान लिया है  लूटेरों को घुटनों पर लाने को विश्व म...