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बड़ी कातिल है मुस्कुराहट मेरी

बड़ी कातिल है मुस्कुराहट मेरी जबसे ख़्वाब तेरा सजाने लगी हूँ नाम का तेरे काजल लगाने लगी हूँ लोग कहते बड़ी खूबसूरत हैं आँखें मेरी चिलमन और भी अदा से उठाने गिराने लगी हूँ । जबसे अलकें गिराने लगी माथ पर इठलाती बलखाती चलने लगी राह पर लोग कहते बड़ी शोख़ है नज़ाकत मेरी कटि नागन सी और भी मटकाने लगी मार्ग पर । जबसे जिक्र पर तेरे मुस्कराने लगी हूँ हाल दिल का निग़ाहों से बताने लगी हूँ  लोग कहते बड़ी कातिल है मुस्कुराहट मेरी खिलखिला और भी बिजलियाँ गिराने लगी हूँ । जबसे जाम पी है नशीली आँखों का गुदगुदाता रहता है पल चाँदनी रातों का  लोग कहते बड़ी नाज़ों सी है नफ़ासत मेरी ढाती और भी क़यामत हूँ होता असर बातों का । शैल सिंह  सर्वाधिकार सुरक्षित