क्या फायदा मौत तेरे आने के बाद
क्या फ़ायदा मौत तेरे आने के बाद कण्ठों से गूँजे स्वर डूबती आवाज सी खंडहरों में खो गए मंज़िल की चाह में ज़िंदगी अवसान के अंचलों में खो गए । जल रहा है दिल बेचारा आँखें झर-झर हैं बरसती हर घड़ी बयां करतीं कहानी मौन हो,चमकती आँसुओं की ये झड़ी मन में उठता शोर कहता चल छोड़कर दूर ये दुनिया कहीं मत ख़्वाबों की गूँथ ताबीर मिला कहाँ मुक़्क़मल जहाँ कहीं । चमन में किसी के फूल न्यारे कहीं तर ख़ुश्बुओं से रात है अरमां किसी के धुंध छाये किसी की खिलखिलाती रात है कहीं तो चाँद सा रौशन जहाँ किसी को हर सताती रात है कहीं वीरान है दिल का नगर किसी की गुनगुनाती रात है । ख़ुशनुमा नज़ारे हर तरफ मश्गूल कुछ न कुछ में हर कोई हर नज़र में मस्त शोख़ियाँ,किसी पर दिल निसारे हर कोई दहकते अंगारों पर काट रहा यहाँ,दिन-रात है तनहा कोई चुन शूल सारे ज़िन्दगी के आँचल भर देता फूल काश कोई । जहाँ रूप का सागर छलकता वहाँ क्या विसात है अब मेरी जहाँ गुलज़ार भी गुलशन सदा उजड़ी क़ायनात है अब मेरी रंगीन दुनियां में कल्पना का रंग सिर्फ़ प्रारब...