देखो अश्रु की धारा
देखो अश्रु की धारा दुश्मन पतित बाज ना आएगा कभी भी अपनी बेशर्मी से जला दो शत्रुओं की लंका लहू की ख़ौलती गर्मी से , इतिहास के पन्नों में होगी दर्ज़ वीरों तुम्हारे शौर्य की गाथा चुका दो क़र्ज़ निभा कर फ़र्ज चूमें माँ भारती गर्व से माथा , इक बलिदानी की विधवा तुझसे ही न्याय है मांगे शहीदों के यतीम बच्चे भी तुझसे ही इंसाफ़ हैं मांगे , उन माँ-बाप के आँखों में देखो अश्रु की बहती अविरल धारा जिनने अपने ज़िगर का टुकड़ा वतन की आन-बान पर वारा , कोई बांका वार ना जाये खाली रायफ़ल की दुनालों का हो तुम तो बहादुर वीर सिपाही मिटा दो नाम नक़्क़ालों का , गिन-गिन शहादतों का तुम्हें अब वीरों ज़ल्द इंतक़ाम लेना होगा तुम्हें क़सम भारत माता की बैरियों का सर क़त्लेआम करना होगा , घर के गद्दारों का भी है ख़तरा कहीं कम ना आंकना शमशीरों पैलटगन भी संभालन कर रखना तुम अपनी भी सुरक्षा में शूरवीरों , हायतौबा मच जाये भले ही इसका ग़म नहीं है करना क़ौम के संग तुम्हारे सभी लोग बांध लो गिरह नहीं है डरना । ...