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''क्या दिलकशीं में हाल''

  क्या दिलकशीं में हाल      उमंग ले गए तुम तरंग ले गए  ज़िंदगी के रंग सारे संग ले गए  गुजरे हुए लम्हात की हर बात याद आये  वादे जो ज़ज़्बात के अल्फ़ाज़ गुदगुदाए  भींगे प्यार में दो ज़िस्म वो बरसात याद आये  गीत ले गए तुम संगीत ले गए  ग़ज़ल की रूबाई भी मनमीत ले गए , बदले वफ़ा के तुमने जो बख्शीश दी है शुक्रिया  रंजोगम नहीं हैरान हूँ तेरी बेरुखी पे शुक्रिया    जीस्त वास्ते जली जो चन्दन की चिता शुक्रिया   जान ले गए तुम जहान ले गए  ईमान बेच क़ीमती मुस्कान ले गए , मायूसियों की राह में दीपक जलाये बैठी  खिले हसरतों के फूल दिल में दबाये बैठी  जिस राह आओगे रोज़ोशब आँख लगाये बैठी  साज़ ले गए तुम आवाज़ ले गए  अदा नाज़ ले गए तुम अंदाज़ ले गए , जीवन के वियाबानों में रुदादे-ग़मों के सिवा     कुछ नहीं नाला कशीं के पास मेरे मासिवा      चन्द्रमुखी शाम में बस ग़म के पहाड़ों के सिवा  ...

होली पर्व पर एक संदेश

होली पर्व पर एक संदेश  ऋतुराज का आगमन  प्रकृति में नूतन परिवर्तन  भंवरे फूलों पर मंडराने लगे  नये फूल,पत्ते,वृक्ष इठलाने लगे , उमड़ी मादक सी अंगड़ाई  हर मानस रौनक छितराई  स्नेही वसंतोत्सव की बहार  मुरझाये मन को दी उपहार ,  आया होली का परम त्यौहार  बहे भीनी-भीनी फागुनी बयार  चलो रंगे हम रंगों के फूहार में  भींगे मन से मन के प्यार में , त्यागें मद और झूठे अहंकार,  वर्ण,जातिभेद का कर तिरष्कार  हास-परिहास,समरसता का पर्व ये  रंगों की बौछार उमंगों का त्यौहार , आनंद,उल्लास का ये त्यौहार  व्यंग्य,विनोद का ये त्यौहार  भूलें द्वेष,शत्रुता और सब विकार   ये एकता,मित्रता का त्यौहार , देश,समाज की सारी बुराई,  होलिका दहन में करें विसर्जित  सतरंगी मधुराई बरसाकर हम   करें लें सारी खुशियां अर्जित ,  भूलें आपसी कलह तकरार  भष्म करें ईर्ष्या और अहंकार  चलो हमसब करें आत्म परिष्कार  तोड़ें...