''क्या दिलकशीं में हाल''
क्या दिलकशीं में हाल उमंग ले गए तुम तरंग ले गए ज़िंदगी के रंग सारे संग ले गए गुजरे हुए लम्हात की हर बात याद आये वादे जो ज़ज़्बात के अल्फ़ाज़ गुदगुदाए भींगे प्यार में दो ज़िस्म वो बरसात याद आये गीत ले गए तुम संगीत ले गए ग़ज़ल की रूबाई भी मनमीत ले गए , बदले वफ़ा के तुमने जो बख्शीश दी है शुक्रिया रंजोगम नहीं हैरान हूँ तेरी बेरुखी पे शुक्रिया जीस्त वास्ते जली जो चन्दन की चिता शुक्रिया जान ले गए तुम जहान ले गए ईमान बेच क़ीमती मुस्कान ले गए , मायूसियों की राह में दीपक जलाये बैठी खिले हसरतों के फूल दिल में दबाये बैठी जिस राह आओगे रोज़ोशब आँख लगाये बैठी साज़ ले गए तुम आवाज़ ले गए अदा नाज़ ले गए तुम अंदाज़ ले गए , जीवन के वियाबानों में रुदादे-ग़मों के सिवा कुछ नहीं नाला कशीं के पास मेरे मासिवा चन्द्रमुखी शाम में बस ग़म के पहाड़ों के सिवा ...