नौमीद मत होना जहाँ आफ़री साथ तेरे
नौमीद मत होना जहाँ आफ़री साथ तेरे घबराकर तुम कभी ग़म-ए-हयात से जिंदगी बेबस दूभर ना खुद बना लेना हर भयावह रात बाद रंगेशफक़ सवेरा होगा, बात सोज़ दिल को समझा लेना , असंख्य गुलाबों की बाग़ है ये दुनिया फूल चुनना शूलों से दामन बचा लेना ये दुनिया है फर्श चिकना चौंधियाकर फिसल ना जाना खुद को संभाल लेना , महरूमी-ए-किसमत पर हँसे जमाना जुल्में-दुनिया से हाले दिल छुपा लेना ऐतबार,वफा ,खता आग के दरिया हैं इरादों का अपने ना ख़्वाब जला लेना , मायूस हो मुश्किले-हालात से हरगिज़ न खुद को ग़म के आईने में ढाल लेना वक्त के ज़ालिम हाथ की कठपुतलियां हैं हम,किस्मत रंग लाएगी आज़मा लेना , यही इम्तिहान की कठिन घड़ी है दोस्त आस्मां पर लक्ष्यों का अरमान उगा लेना जिंदगी इक जंग है संघर्ष अनवरत सही ठोकरों की नोंक पे अंगड़ाई जवान लेना , जो काबिल नहीं तेरे तरज़ीह भी ना देना इन दिल दुःखाने...