" एकता की ताकत "
एकता की ताकत सीमाएं बंट गयीं तो क्या समीर एक है भाव दुःख, दर्द एक ही रुधिर एक है लहू का रंग एक , एक पान क्षीर की एक जैसी प्यास,आस एक नीर की । रात दिन हमारे एक शाम एक सवेरा चाँद तारे सूर्य रोशनी में सबका बसेरा एक ही गगन तले धरा पर एक हम फिर क्यों मन में दूरियां तमाम हैं भरम । राम ही रहिमन तेरा ईसा ही राम है एक ही विधाता के अनेक नाम हैं एक ही ख़ुदा के औलाद हम सभी एक ही जन्मदाता के संतान हम सभी । पुरखे हमारे एक ही सनातनी है जड़ जमीं चन्द ग़द्दारों ने बांट दी जाति कौम सरज़मीं चाह राह एक फिर क्यों बंट गये हैं हम किसने दिखाई राह कि बहक गये कदम । बोली भाषा वेश भिन्न रंग रूप हैं अनेक अनेकता में एकता की हो मिसाल एक बनें भविष्य विश्व का करनी है साधना अटूट सूत्र में विविध...