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" बड़े जिद्दी ख़्वाब तेरे "

इस तरह ना हर रात मेरे ख़्वाबों में आया करो कि बिखर जायें आँखें खुलते किरचों की तरह । सोचों की डगर पर मेरी तुम बन कर हमसफर आ जाते जाती जहाँ कहीं मुस्कुराते हुए नज़र बेहिसाब सलीके से  सताने का नायाब तरीका जाने सीखते कहाँ से आँखों में समाने का हुनर । महज खूबसूरत ख़्वाब बन न पलकों पे छाओ थम जातीं धड़कनें न शोर सिरहानों पे मचाओ सोने की करूं कोशिशें जब करें करवटें बखेड़ा बड़े जिद्दी ख़्वाब तेरे रतजगा में हो जाये सवेरा । दीदार की ख़्वाहिशों का भी है अजीब सा नशा मिले फुर्सत कभी तो देख जाना आ कैसी दशा क्या तेरी आँखों में मेरे ख़्वाब आ पूछते सवाल तुम्हें भी हैं याद क्या वो शामें सलोनी कहकशाँ ।      नज़रों का मिलना और मुस्कुराना ज़ुर्म हो गया कशिश नज़रों में गजब ईश़्क का इल़्म हो गया इक अजनवी चेहरा ने किया हृदय ऐसा घायल कि भ्रमजाल में नज़रों के ख़ुद पे ज़ुल्म हो गया । कहकशाँ--आकाश में तारों का समूह सर्वाधिकार सुरक्षित शैल सिंह