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मार्च 19, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ओ शेरा वाली माँ

तेरे शरण में आई माँ रिद्धि-सिद्धि दे-दे भर-भर आँचल दे आशीष वंशवृद्धि कर दे भर दे मेरा हृदय ज्ञान से ध्यान में चित्त रमा दे मन्नत मांगने आई चौखट तेरी फूटे भाग्य जगा दे सारे कष्टों,दुखों का करदे निवारण सुख दे-दे भरपूर अभय हस्त से अभय वरदान दे अभिलाषाएं कर दे पूर । कर दे निरोगी काया जग में दे दे जीत ईर्ष्या,द्वेष मिटा दे माँ कुटुम्ब में भर दे प्रीत भर दे उर में भक्ति सुख,शान्ति दे दे अपरम्पार  सृष्टि का आधार तूंही माँ जग की तूंहीं सृजनहार मान सम्मान और समृद्धि दे दे कर सबका कल्याण तेरे चरण में शीश नवाऊं माँ दे दे पावन चरणों में स्थान । तूं सबकी दुखहर्ता माँ तूं ही पालनहार  सजा रहे दरबार तेरा तुम रक्षा की अवतार  आई द्वार तेरे फैलाये झोली कर दे पूरे अरमान  मेरी आस्था,विश्वास को दे दे बल मांगूं ये वरदान  लगे सुहावन,मनभावन रूप तेरा ओ शेरा वाली माँ तेरे नौ रूपों की करूँ उपासना बिगड़े बना दे सारे काम । सर्वाधिकार सुरक्षित  शैल सिंह 

मैं और अहंकार पर कविता

जैसे धुएं के आवरण में अग्नि का गोला छुपा होता है वैसे ही प्रत्येक अनुष्ठान तेरा अहंकार में घिरा होता है । बचपन कितना सुन्दर निश्चिंत था फिक्र नहीं था कोई  असमंजस,शर्म की बात ना थी अहंकार नहीं था कोई  खुश होने पर हँस लेते दु:ख में बिलख-बिलख रो लेते डांट,फटकार के तुरन्त बाद माँ के गले लिपट सो लेते । जब से पग धरे बाहर 'मैं' रूपी विचित्र हवा में बह गये सम्पूर्ण व्यक्तित्व हो गया बेपटरी संस्कार सब ढह गये  'मैं" रूपी हवा से पिंड छुड़ा ज्ञान भंडार के द्वार खुलेंगे  कड़वाहट भरे रिश्तों में तत्पश्चात सुमधुर सौहार्द घुलेंगे । मैं ज्ञानी मैं समर्थवान भ्रम में जीवन व्यर्थ बीत जायेगा कर लें अहं विसर्जित,उर भव्य-दिव्य धाम बन जायेगा  मैं भाव से मुक्त हो तुम परिपूर्णता का आनंद उठाओगे वरना होगी प्रगति बाधित जीवन भर रो-रो पछताओगे । बुद्धि,शक्ति,सम्पत्ति,रिश्तों के,बावजूद विफल क्यों होते करती ना 'मैं' की विडंबना भ्रमित हर कार्य सफल होते  आध्यात्मिक जीवन भी प्रभावित 'मैं' के चक्रवात करेंगे अहं के बंधन से कर लो जीवन मुक्त भगवन आ मिलेंगे । सर्वाधिकार सुरक्षित  शैल सिंह...

ईश्क़ में टूटकर बिखर जाना अगर ईश्क़ है

कैसे भूले गली तुम शहर की मेरे निशां अब तक जहाँ तेरे पग के पड़े हैं खुला दरवाजा तकता राह आज तक तेरा खिड़की पे पर्दे का ओट लिए अब तक खड़े हैं । तेरे दीदार को दिल तरसता मेरा तेरे इन्तज़ार में कैसे दिल तड़पता मेरा क्या जानो पगले दीवाने दिल का हाल तुम  कि मेरा होकर भी तेरे लिए दिल धड़कता मेरा । ईश्क़ में जख़्म तूने मुझे जो दिया उसे अंजुमन में मैंने भी आम कर दिया ईश्क़ में टूटकर बिखर जाना अगर ईश्क़ है टूटे ख़्वाबों की विरासत भी तेरे नाम कर दिया । जाने कैसे रिश्ते में दिल बंध गया भूला धड़कना पर भूला नहीं नाम तेरा मिले तो सफर में बहुत लोग मुझको मगर तड़प,बेचैनी,उलझन में बस तूं तेरी याद चितेरा । तोड़कर सरहदें जिद्द की एकबार  बता जाओ आकर हो ख़फ़ा क्यूँ बेज़ार  ख़यालों में तेरे हुई बावरी मशहूर हो गई मैं राह देखते अपलक थककर चूर-चूर हो गई मैं । सर्वाधिकार सुरक्षित  शैल सिंह

बुरा न मानो होली है रंग डाल

उड़ा रंग-बिरंगा अबीर गुलाल कोरी चुनरी मेरी कर दी लाल, अलमस्त रंगरसिया पाहुना ने प्रेमरस बरसा उर के अँगना में कर दिया काला गुलाबी गाल कोरी चुनरी मेरी कर दी लाल, रंग दिया मुझे संवरिया ने ऐसे सब इसी रंग में रंगने को तरसें देख के गुलज़ार दिल का हाल कोरी चुनरी मेरी कर दी लाल, पी भंग घर-घर हुड़दंग मचाते हुरियारे हर रंग अंग पे लगाते झूम बजाते ढोल,मंजीरे झाल कोरी चुनरी मेरी कर दी लाल, नाचते गाते सब मस्त उमंग में जोगीरा सर रर कहते तरंग में  बुरा न मानो होली है रंग डाल कोरी चुनरी मेरी कर दी लाल, मन घोले केसर फगुनी बयार मन से मिलाये मन ये त्योहार  मलाल मिटा के करदे निहाल कोरी चुनरी मेरी कर दी लाल, है सबके लिए मंगलकामनाएँ  हिल-मिल प्यार से पर्व मनाएँ  रहे ना कोई भी मन में मलाल कोरी चुनरी मेरी कर दी लाल, सर्वाधिकार सुरक्षित  शैल सिंह