ओ शेरा वाली माँ
तेरे शरण में आई माँ रिद्धि-सिद्धि दे-दे भर-भर आँचल दे आशीष वंशवृद्धि कर दे भर दे मेरा हृदय ज्ञान से ध्यान में चित्त रमा दे मन्नत मांगने आई चौखट तेरी फूटे भाग्य जगा दे सारे कष्टों,दुखों का करदे निवारण सुख दे-दे भरपूर अभय हस्त से अभय वरदान दे अभिलाषाएं कर दे पूर । कर दे निरोगी काया जग में दे दे जीत ईर्ष्या,द्वेष मिटा दे माँ कुटुम्ब में भर दे प्रीत भर दे उर में भक्ति सुख,शान्ति दे दे अपरम्पार सृष्टि का आधार तूंही माँ जग की तूंहीं सृजनहार मान सम्मान और समृद्धि दे दे कर सबका कल्याण तेरे चरण में शीश नवाऊं माँ दे दे पावन चरणों में स्थान । तूं सबकी दुखहर्ता माँ तूं ही पालनहार सजा रहे दरबार तेरा तुम रक्षा की अवतार आई द्वार तेरे फैलाये झोली कर दे पूरे अरमान मेरी आस्था,विश्वास को दे दे बल मांगूं ये वरदान लगे सुहावन,मनभावन रूप तेरा ओ शेरा वाली माँ तेरे नौ रूपों की करूँ उपासना बिगड़े बना दे सारे काम । सर्वाधिकार सुरक्षित शैल सिंह