भर उर में भगवा प्रेम
सिंहनाद कर गरज उठी हैं आज म्यान से तलवारें जागो हिन्दुस्तानी जागो देश की माँ,बहनें ललकारें कहीं अनर्थ ना हो जाये अध्याय अहिंसा का पढ़ते निज स्वार्थ लिए होश हवास खो जयचंद सा बनते , धर्म संस्कृत के रक्षार्थ यदि प्राण विसर्जित हो जाए ग़र रामराज्य,हिन्दुत्व लिए जीवन समर्पित हो जाए चिंता नहीं करना तोड़ मर्यादा की पांव बंधी जंजीरें चीरने को शत्रु का सीना तुम्हें उठानी होंगी शमशीरें , गूंजे जय श्रीराम का जयकारा भगवा ध्वज लहराये दिखा हिन्दुत्व की ताकत ब्रम्हांड का सर झुक जाये सूर्य भी भगवा के लिबास में अपना प्रभुत्व दिखाता भगवा रंग में सांध्य की लाली मन को बहुत है भाता , हिन्दुस्तान की धरती हिन्दुत्व का परचम लहराना है घाती गद्दारों को धूल चटा रामराज्य फिर से लाना है मुगलों,अंग्रेजों का इतिहास बदल भूगोल बदलना है भगवामय कर भारत,हिंदुत्व का कोहराम मचाना है , मिट गये मिटाने वाले नहीं मिटा सनातन धर्म अमर ब्राम्हण,क्षत्रिय,वैश्य,शूद्र भले हैं हिन्दुस्तानी हैं मगर मंदिर,टीका,जनेऊ,कलावा हिन्दुत्व की पहचान रहे नहीं किसी छलावे में बनना स्वार्थी कायर ध्यान रहे , कट्टर हिन्दू बनकर फै...