संदेश

जनवरी 18, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कश्मीर के हालात पर

कश्मीर के हालात पर   नयी सोच के फ़ौवारों में प्रतिशोध की अगन बुझा लें आआो शांति का पर्व मनाकर उन्मत्त आक्रोश भगा दें ,, सहना आसान कहर मौसम का पर इंसा पर इंसा की त्रासें उन्मुक्त गगन में कैसे विचरें अंगारों पे करवट लेतीं रातें ,, आह भरे साँसों के धड़कन की कब सुख से सोकर जागेगी रैना असहाय सवाल सब पूछें कब होगी रक्तरंजित वस्ती में पुरनिमा ,, कटुता के कंटक शूल खींचकर दिल की कुटिया में दीप जला दें जन मानस की वीरां क्यारी में हम समता के सुन्दर फूल खिला दें ,, धू-धू कर जल रहा वर्तमान हमारा हुँह ; लोग कहते इतिहास पढ़ो इतिहास तो बीता कल था प्यारे चलो भावी कल पे नूतन जिल्द मढ़ो ,, कोई ज़हन ना सहमा रह जाये आओ भरम की सब दीवार ढहा दें सम्बन्धों के ठूंठ होने से पहले सौहार्दमयी जहाँ में बौर खिला दें ,, अलसायों को आज़ जगाने आई निद्रा कोसों दूर भगाने आई निखिल सृष्टि का करूँ सिंगार जग से इतना करूँ मैं प्यार ,, हर घर आँगन दीवार खड़ी है दरार पड़ी हर दिल में है मैल मलाल की किसमें धोऊं जब प्रदूषण गंगाजल में है ,, प्रत्यंचा चढ़ी निशाने पर है राजवरदाई हैं आज़ कहाँ आज़ अर्जुन संकट ...