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जीवन की सफलता पर कविता '' लकीरें तो हाथ की रेखाएं,भाग्य मिटा न सके दुश्मन भी ''

लकीरें तो हाथ की रेखाएं,भाग्य मिटा सके न दुश्मन भी पंख पसारा मैंने लेकिन कभी अंम्बर का विस्तार न मांगा व्यवधानों ने किये प्रहार मगर,मैंने कभी हथियार न डाला, अगणित बार हुई हार,हृदय पर अगण्य बार सही आघात  मगर समर में कर्तव्यनिष्ठ हो ,प्रतिज्ञा करती रही अभ्यास, हारजीत के दांवपेंच में,दृढ़ इच्छाशक्ति लेती रही आकार जिनकी आलोचनाओं से बढ़ा हौसला,उनका भी आभार, बहुत छला विश्वासों ने अपना बन,पीड़ाओं का दे उपहार परिताप का पारावार ना भूलता ना अपनों का ये उपकार, भयभीत हो परिस्थितियों से,छोड़े न कभी कौशल ने हाथ हारकर मुश्किलों से आत्मविश्वास मेरे,कभी न छोड़े साथ, मुर्छित होकर भी कर्म पथ पर,डटे रहे निर्भीक कदम मेरे उगते दिनकर को रोक सके ना घने अतिक्रमण के कोहरे, तूफां का सामना किये मगर,की ना श्रम की धीमी रफ़्तार परिश्रम के अथक,अश्रान्त प्रयास से,मुकद्दर लिया संवार, गिर-गिर कर उठना औ निखरना,बना ली प्रयत्न की रीत पात्रता पर षडयंत्र करने वाले,देख लें प्रवीणता की जीत, लकीरें तो हाथ की रेखाएं,भाग्य मिटा सके न दुश्मन भी नियति भी हो...

कोरोना पर गीत

कोरोना पर गीत घर में ही रहना सुरक्षित कहीं घर से बाहर ना जाना अस्पृश्य है कोरोना संक्रमित मुई को गले ना लगाना खतरनाक डायन है संक्रमण कोरोना घुल बह रही ये हवाओं में समझो ना ऐसी मौत को निमन्त्रण दे ना बुलाना हवा ज़हरीली दोज़ख़ घर में ना लाना , ये अणु वायरस है आखेटक शिकारी क्षण मिनटों में फैलाती घोर महामारी रहना संभल कर ऐसी घातक बीमारी रब की नेमत अमोल ज़िंन्दगी तुम्हारी, क्यों बाहर निकलने की ज़िद पर अड़े इसने कर दिया बड़े-बड़े धराशाई धड़े चप्पे-चप्पे पर एहतियात के पहरे कड़े सामां बहुत जी बहलाने के घर में पड़े, मन के घोड़ों पर लगा लगाम हम रखें लाॅकडाउन में बंद है शहर टाऊन देखें नये मिज़ाज की बला यह समझें परखें कोरोना क़हर से खुद को सलामत रखें, करें अनुपालन मोदी  के अभियान का हमें तोड़ना मिल कर अभिमान इसका कर पर्दाफ़ाश कोविद  की साज़िश का परास्त कर इसे खोजें समाधान इसका, यही एकमात्र विकल्प सामाजिक दूरी बनाये जिसे रखना हम सबको ज़रूरी विश्व की पीर हरने को लें संकल्प पूरी  जग में विजयी हो भारत दमके सिंदूरी । सर्वाधिकार सुरक्ष...