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'' देश भक्ति कविता '' घटा भी बरसी ऐसे आज धाड़-धाड़ कर

'' देश भक्ति कविता ''   घटा भी बरसी ऐसे आज धाड़-धाड़ कर  चिता पर दुलारों तेरी श्मशान रो रहा है कैसे करें अगन हवाले जहान रो रहा है धरा रो रही है नीला आसमान रो रहा है जनाज़े पर तिरंगे का अपमान रो रहा है , भृकुटी तनी,आपा खोया,त्योरियां चढ़ीं   लाल किले के बुर्ज़ ने तोड़ दिया संयम छल-छद्म के बदले मन भड़की चिन्गारी                     नरम रवैयों का सब्र ने खोल दिया बंधन,  मौत का पाई-पाई कर्ज़ चुकाने को हम माँ की सौगंध वर्दी तन पे सजा लिये हैं कर अश्त्र ले दस-दस लाशें बिछाने का सरहद पार जाने का वीणा उठा लिये हैं , ललकार रहीं उठती चिताओं से लपटें पाकिस्तान को नेस्तनाबूंद कर देने को हर आंसू हर आह से भड़क रहा शोला ब्याज सहित जख़म वसूल कर लेने को , दग्ध चीत्कार पर माँ-बहनों परिजनों के पाषाण हृदय के भी आँसू निर्बाध उमड़े धाड़-धाड़ कर बरसी घटा भी आज ऐसे  जब सुहागन के माँग की लालिमा उजड़े , तिरं...

पागलों का जमावड़ा

उरी में हुए आतंकी हमले और वीरों की शहादत पर लालू यादव के ये श्रद्धांजलि के शब्द हैं ,मोदी जी पर कटाक्ष कि ३६ इंच का सीना सिकुड़ गया ,इस उजड्ड गंवार की अक्ल को कौन ठिकाने लगाएगा सारा देश शोक संतप्त है ,इस शोक की घड़ी में तो सारे देशवासियों को घर के अन्तर्कलह को किनारे कर भारतीय एकता का सन्देश देना चाहिए ,लालू यादव के इस कथ्य पर भी बवाल मचाना चाहिए ,किस सरकार के कार्यकाल में इस तरह के घातक हमले नहीं हुए ,आशंका तो हो रही कहीं सरकार को बदनाम करने के लिए राजगद्दी की लालसा के लिए कहीं इन विरोधी तत्वों का हाथ तो नहीं ,यदि आतंकी हमलों पर, देश पर मंडराते हुए खतरों पर राजनितिक पार्टियां ऐसी बयानबाजी करती हैं तो पूरे देश से मेरा अनुरोध है की बेहूदे जुबानी हमलों पर उन्हें भी सबक अवश्य सिखाएं,धर्म,जाति-पांति को परे पखकर ऐसे हालात पर एक शब्द भी बेतुका बोलने वाले की जीभ काटकर उसके हाथों में रख देना होगा ,घर के बहरूपियों की उलटीसीधी ,अंट-शंट बयानबाजी से दुश्मनों को हिम्मत मिलती है ,कहाँ देशवासियों, जवानों का हौसला बढ़ाना चाहिए और कहाँ ताना और छींटाकसी केर...

रत्ती भर परवाह नहीं ,

उरी कश्मीर में अपने १७ जवानों की शहादत और घायल हुए जवानों की खबर से आत्मा दुःख से चीत्कार रही है ,आक्रोश इतना कि चुन-चुन-कर गिन-गिन कर एक-एक को मन हो रहा है चुटकी से मसल-मसल कर इनकी जन्नत जाने वाली अछूत शरीर को आग लगाकर उस पर मैला डाल दें , जवानों के माँ,बाप,बहन,पत्नी बेटी का क्या हाल हो रहा होगा ,हम सिर्फ प्रतिक्रियाएं व्यक्त करते हैं लिख,बोलकर भड़ास निकालते हैं फिर कुछ दिन बाद ऐसा दर्द भूल जाते हैं लेकिन फिर ऐसी ही वारदात दुहराई जाती है ,जहर का घूंट कब तक पीते रहेंगे हिंदुस्तान का वह तबका कहाँ गया जो हमेशा विरोधाभाषी बातें करता रहता है कहाँ गए ओवैसी और कश्मीर के अलगाववादी नेता वो विरोधी पार्टियां जिनकी लंबी-लंबी जुबानें चार हाथ बाहार निकलकर भड़काने वाली बातें करती हैं ,यदि आज अभी कोई कारगर कदम उठाया जाय तो चों-चों करने के लिए सभी पार्टियां दुश्मनों की तरह एक मंच पर आ जाते हैं मोदी जी के ख़िलाफ़ आवाज उठाने  के लिए ,यदि सभी हिंदुस्तानी एक मत से ऐसी घटनाओं के निराकरण के लिए आवाज बुलंद करें सभी अराजक तन्तुओं के आचरण का बहिष्कार करें...