वसंत ऋतु पर कविता
वसंत ऋतु पर कविता बड़ा सुहावन मन भावन लगे वसंत तेरा आना थोड़ी सर्दी थोड़ी गर्मी मौसम बड़ा सुहाना , इंद्रधनुष ने खींची रंगोली सज गई मधुऋतु की डोली बिखरा दी अम्बर ने रोली धरती मांग सजा खुश हो ली छितरी न्यारी सुषमा चहुँदिश कलियाँ घूँघट के पट खोलीं आई ठूँठों पे तरुणाई भर गई उपहारों से झोली, बड़ा सुहावन मन भावन लगे वसंत तेरा आना।, देख हरित धरणी का विजन हुआ मन मयूर मस्ताना पीली चूनर सरसों लहराई उसपे तितली का मंडराना पी मकरंद मस्त भये मधुकर मद में मगन दीवाना गूंजे विहंगों की किलकारी कुञ्ज-कुटीर मलय भर जाना , बड़ा सुहावन मन भावन लगे वसंत तेरा आना , अमराई महके बौराई मधुकंठी तान सुनाये देख वासन्ती मादकता नाचे वन,वीथिक मयूरा बौराये पछुआ-पुरवा की शीतल सुरभि नशीला गन्ध जिया भरमाये पापी पपीहरा पिउ-पिउ बोले सुध विरहन को पी की सताये , बड़ा सुहावन मन भावन लगे वसंत तेरा आना , चित चकोर तिरछी चितवन से अपने सजन से करे निहोरा मूक अधर और दृग से चुगली करे दम-दम सिंगार-पटोरा प्रकृति...