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फ़रवरी 26, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वसंत ऋतु पर कविता

   वसंत ऋतु पर कविता  बड़ा सुहावन मन भावन लगे वसंत तेरा आना थोड़ी सर्दी थोड़ी गर्मी मौसम बड़ा सुहाना , इंद्रधनुष ने खींची रंगोली सज गई मधुऋतु की डोली बिखरा दी अम्बर ने रोली धरती मांग सजा खुश हो ली छितरी न्यारी सुषमा चहुँदिश कलियाँ घूँघट के पट खोलीं आई  ठूँठों पे तरुणाई भर गई उपहारों से झोली, बड़ा सुहावन मन भावन लगे वसंत तेरा आना।, देख हरित धरणी का विजन हुआ मन मयूर मस्ताना पीली चूनर सरसों लहराई उसपे तितली का मंडराना पी मकरंद मस्त भये मधुकर मद में मगन दीवाना गूंजे विहंगों की किलकारी कुञ्ज-कुटीर  मलय भर जाना , बड़ा सुहावन मन भावन लगे वसंत तेरा आना , अमराई महके बौराई मधुकंठी तान सुनाये देख वासन्ती मादकता नाचे वन,वीथिक मयूरा बौराये पछुआ-पुरवा की शीतल सुरभि नशीला गन्ध जिया भरमाये पापी पपीहरा पिउ-पिउ बोले सुध विरहन को पी की सताये , बड़ा सुहावन मन भावन लगे वसंत तेरा आना , चित चकोर तिरछी चितवन से अपने सजन से करे निहोरा मूक अधर और दृग से चुगली करे दम-दम सिंगार-पटोरा प्रकृति...

चुनावों की बेला में ,मेरी ये कविता

 एक विनम्र निवेदन देश की जनता से  हमें विश्व गुरु है बनना हर मन सपना ये बुनवाना होगा अराजकता,अत्याचार,अनाचार का कोढ़ दूर भागना होगा राष्ट्रीय पुष्प का कर अभिनन्दन बहुमत का अर्ध्य चढ़ाना होगा ईमानदारी,नैतिकता,जनसेवा हित कमल का फूल खिलाना होगा , हिंदुस्तान के हिन्दुओं को अकल तभी अब आएगी जब उसकी ही सरजमीं पर फसल दूजी क़ौम उगायेगी सपा,बसपा,काँग्रेस को तो नफ़रत अयोध्या नगरी के राम से ग़र नहीं चेता हिन्दू अब भी मिट जायेंगे हम अपने ही चारों धाम से , गढ़-गढ़ में कमल खिला दे जनता ग़र यूपी के कीचड़ में चोर,उचक्के सारे माफ़िया बंद हो जायेंगे जेलों के सीकड़ में ना गुंडागर्दी हत्या,बलात्कार ना होगा कैराना,दादरी जैसा काण्ड ना एक मंच पर सांठ-गांठ कर खड़े होंगे साथ फिर सारे भड़ुवे भांड़ , हाथी,पंजा,साईकिल ने बना दिया जैसे यूपी को चम्बल मज़हब की दीवार खड़ी कर करवाते रहे आपस में दंगल इक थैली के चट्टे-बट्टे बन गए सियासत कर इक दूजे के संबल मेधावों को कर दरक़िनार सदा वर्ग विशेष का ये करते रहे सुमंगल , कितना जाति,धर्म के...