मत करो न साधना घायल मेरी
मंदिर-मंदिर चौखट-चौखट दीया बाल कर रही याचना नैवेद्य पुष्प की थाल सजाये घण्टी बजा कर रही प्रार्थना , मन्दिर के परमपूज्य पुजारी अर्जी देकर कह दो शिव से भजन,कीर्तन में लीन निमग्न कर जोड़े बैठी कबसे दर पे , मन तेरा द्रवित नहीं है होता क्यों देख जगत की पीर प्रभु हहाकार रुदन,चीत्कार नहीं क्यों देता सीना तेरा चिर प्रभु , मांग अमन की भीख विकल क्या ऐसा अपराध किया मैंने सर्वत्र विराजमान तूं दयानिधे नहीं देखता क्यों क़हर घिनौने , तुझे रिझाने को निष्ठुर भगवन जाने कितने उपक्रम कर डाले नयनों से घटा बरसा-बरसाकर अगणित बार फेरे हैं मैंने माले , क्या तुझे समर्पित और करूँ मैं तेरा ये गर्वित रूप पिघलाने को रीती गागर आँचल सूखा सावन सिवा श्रद्धा ना कुछ बरसाने को , कहो ना चाँद से शीतल बनकर दहक मिटा दे तपती धरती का मटमैली ना हो रजनी की चादर ना तृष्णा,मुस्कान हरे जगती का , जलती सांसों पर बोल गीतों के सुमधुर स्वर ताल में कैस...