" कोहिनूरों से भी कीमती अनमोल हैं यादें "
" कोहिनूरों से भी कीमती अनमोल हैं यादें " शबनम हुई है शोला दिल में छुपाऊं कैसे चन्द लफ़्ज़ों में दास्तां इतनी सुनाऊं कैसे हो गये पुराने ग़म जवां देख उसे बज़्म में ग़ज़ल सामने उस बुत के गुनगुनाऊं कैसे । ये इक आईना है जो लिखी है मैंने ग़ज़ल हो गईं आँखें सुनने वालों की ऐसे सजल शिकवा,गिला करना मुनासिब ना समझा पिरो दर्द दिल का गुनगुना दी मैंने ग़ज़ल । कुछ अल्फ़ाजों में बयां कर पाती हूँ सुकूं कुछ क़ागजों पर लिख कर पाती हूँ सुकूं कुछ परछाईयां रखी बसा दिल,आँखों में कुछ धड़कन,सांसों में छुपा पाती हूँ सुकूं । कैसे कर दूं आजाद यादों को आगोश से बंद मन की तिजोरी में हैं जो ख़ामोश से कोहिनूरों से भी कीमती अनमोल हैं यादें क्यूँ हर्फ़ों तुम भड़क जाते हो आक्रोश से । सर्वाधिकार सुरक्षित शैल सिंह