“ हम हैं विश्वगुरु “
भारत फिर से विश्व के मानस पटल पर एक अलग पहचान बना रहा है । ' हम हैं विश्व गुरु ' हो चाँद हमारी मुट्ठी में हमें करना सूरज भी बस में उत्तुंग शिखर से सागर तक हम चमकें सारे जग में । शांति,अमन के हम प्रहरी तुझे पाक उत्पात मचाना आता जब ख़ुश्बू होगी आम हमारी करनी पर होगा तूं पछताता । हम बेजा वक़्त नहीें गंवाते तुझ सा असभ्य हरकतें कर के करना मुकाबला तो आओ ना पथ विकास के चल कर के । भगवान हमारे मस्जिद में रमते ख़ुदा रहता मन्दिर में तेरा हम सुनें अज़ान मस्जिद की सुने तूं स्त्रोत मन्दिर का मेरा । हम मलयज सा महक फ़िज़ा में बिखरा रहे दिन-प्रतिदिन ग़र देते लोबान का तुम सोंधापन आकंठ लगाते निशदिन । चाँद पर होगा घर अपना करेगा सूरज भी मेहमाननवाजी बिछाओ चौपड़ की कोई भी बिसात हम जीतेंगे हर बाजी । जल,वायु,अवनि,अंबर ...