तुम याद बहुत आए
तुम याद बहुत आए जब-जब कोकिल ने गान सुनाए और चटक चाँदनी उतरी आँगन जब-जब इन्द्रधनुष ने रंग बिखेरा जब-जब आया पतझड़ में सावन तब-तब प्रियतम तुम याद बहुत आए , जब-जब तंज कसे मुझपे जग ने मन के सन्तापों पर किया प्रहार माथे की शिकन पर गौर ना कर दुःखती रेखाओं को दिया झंकार तब-तब प्रियतम तुम याद बहुत आए , उन्मद यौवन की प्यासी आँखों ने कभी था उर में तेरा अक्स उतारा नाहक़ ही हुई मैं बदनाम निगोड़ी जब देखके चढ़ा था जग का पारा तब-तब प्रियतम तुम याद बहुत आए , हर के जीवन की होती एक कहानी किसी के छंट जाते बादल बेपरवाह जबकि दूध का धुला यहाँ कोई नहीं जब आईना दिखा दिया गया सलाह तब-तब प्रियतम तुम याद बहुत आए , जब-जब दामन पर उछला कीच मेरे पाप-पुण्यों पर उठा ...