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तुम याद बहुत आए

         तुम याद बहुत आए  जब-जब कोकिल ने गान सुनाए और चटक चाँदनी उतरी आँगन  जब-जब इन्द्रधनुष ने रंग बिखेरा  जब-जब आया पतझड़ में सावन           तब-तब प्रियतम तुम याद बहुत आए , जब-जब तंज कसे मुझपे जग ने  मन के सन्तापों पर किया प्रहार  माथे की शिकन पर गौर ना कर  दुःखती रेखाओं को दिया झंकार           तब-तब प्रियतम तुम याद बहुत आए , उन्मद यौवन की प्यासी आँखों ने कभी था उर में तेरा अक्स उतारा  नाहक़ ही हुई मैं बदनाम निगोड़ी  जब देखके चढ़ा था जग का पारा          तब-तब प्रियतम तुम याद बहुत आए , हर के जीवन की होती एक कहानी किसी के छंट जाते बादल बेपरवाह जबकि दूध का धुला यहाँ कोई नहीं जब आईना दिखा दिया गया सलाह          तब-तब प्रियतम तुम याद बहुत आए , जब-जब दामन पर उछला कीच  मेरे  पाप-पुण्यों  पर उठा ...

N.R,R.I. CUTTACK '' इस संस्थान में प्रवास के दौरान लिखी गई मेरी कविता ''

                 N.R,R.I.  CUTTACK   '' इस संस्थान में प्रवास के दौरान लिखी गई मेरी कविता '' जिस धरती पर सूरज अपनी  पहली स्वर्णिम किरण बिखेरे जिस देवभूमि का चरणामृत पी सागर की लहरें भरें हिलोरें जिस रमणा के अंक में बहतीं  नदियों की कल-कल धाराएं जिसके गर्भपिण्ड में कुदरत की अनमोल खनिज सम्पदाएँ , वहीं महानदी का सुरम्य तट जहाँ शोध संस्थान है धान का जहाँ उन्नत नस्लों का होता संवर्धन कृषकों के कल्याण का यहाँ नई नई प्रजातियों का होता विशेषज्ञों द्वारा आविष्कार जो उन्नतशील तक़नीकियों से देते नवीन शोधों को विस्तार , जिस धरती ने महान अशोक के अन्तर्ज्ञान का दीप जलाया जिसकी संस्कृति सभ्यता ने जग में अपना परचम लहराया जहाँ अस्ताचल में इन्द्रधनुषी छटा बिखेरता सूरज सागर में जिस पावन भूमि ओडिशा को कृतज्ञ किया नटवर नागर ने , जिस धरती ने सुभाष चंद्र सा भारत को विराट रतन दिया है जिस धरती पे धर्माचार्यों ने जगन्नाथ धाम का सृजन किया है जिस प्रदेश की मोहक कलाकृतियाँ भी विमोही दृश्य उकेरें जिस तपोभ...