कथन मोदी जी का
मुझे आम ही रहने दो
जो मुझमें खास है वही ख़ास
मुझमें वही ख़ास रहने दो,
छू लूँ बुलंदी रहे पांव मगर
जमीं की हरी भरी घास पर
ईमानदार,साखदार बनूं
रहे आँख समग्र विकास पर,
देश सेवा,जन सेवा में रत रहूँ
सरलता हो संग मेरे हो दूजी
सहनशीलता रहे मेरा आभूषण
ताज़िन्दगी इमान रहे मेरी पूँजी,
चाय बेचना ग़र गुनाह है
तो ये गुनाह बार-बार करूँगा
मिले मरने के बाद जन्म अगर
चाय वाला ही कलाकार बनूँगा,
चाय ने तो इस ग़रीब को दिया
जमीं से उठा अर्श पर मुक़ाम
कमाल छोटे से पायदान का
दिया ईनाम में शोहरत,हस्ती नाम ।
शैल सिंह
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें