अनवार दिल पे सितम ढा रहे हैं
रात गहगह चाँदनी में नहाई हुई है
झिलमिल सितारे जगमगा रहे हैं
नाग़वार दिल को लगे ये नज़ारा
अनवार दिल पे सितम ढा रहे हैं।
नज़रों की खुराफ़ात ख़ता दिल से हो गई
सदमा गहरा दिल पर जुदा तुमसे हो गई
कौन हूँ मैं तेरी क्या वाबस्ता तुझसे मेरा
हुई वफ़ा संग बेवफ़ाई ख़फ़ा तुझसे हो गई ,
झिलमिल सितारे जगमगा रहे हैं
नाग़वार दिल को लगे ये नज़ारा
अनवार दिल पे सितम ढा रहे हैं।
नज़रों की खुराफ़ात ख़ता दिल से हो गई
सदमा गहरा दिल पर जुदा तुमसे हो गई
कौन हूँ मैं तेरी क्या वाबस्ता तुझसे मेरा
हुई वफ़ा संग बेवफ़ाई ख़फ़ा तुझसे हो गई ,
झांकते हैं रोज पलकों की बन्द झिर्रियों से
अबस यादों के गुस्ताख़ वो गुजरे ज़माने
अबस यादों के गुस्ताख़ वो गुजरे ज़माने
यादों के पाँखी मन क़फ़स में फड़फड़ाते
रक़्स करते हैं और जख़्म जवां हो पुराने ,
ये जलवे फिज़ा के ये शब की गहनाई
मंज़र वही पर रौनक़े-महफ़िल नहीं है
हँसीं ग़ुंचे वही सबा पेशे गुलशन वही है
मगर जलवा-ए-नुरेज-अज़ल वो नहीं है ,
रक़्स करते हैं और जख़्म जवां हो पुराने ,
ये जलवे फिज़ा के ये शब की गहनाई
मंज़र वही पर रौनक़े-महफ़िल नहीं है
हँसीं ग़ुंचे वही सबा पेशे गुलशन वही है
मगर जलवा-ए-नुरेज-अज़ल वो नहीं है ,
आहिस्ता-आहिस्ता ये रात ढल रही है
रुख पे नकाब डाले चाँद छिप रहा है
रुख पे नकाब डाले चाँद छिप रहा है
आसमां के जुगनू सितारे सो गए सब
दिल बहलाने के सहारे खो गए सब ,
शेर --
गुजरे किस दौर से हैं फिर भी मुस्कराये
तख़लीफ़ कर हम खुद-बख़ुद गुनगुनाये
तंज कसते मजरूह दिल पे अहवाब सारे
सरमाया ज़ख्मों का रखा दिल से लगाये ।
दिल बहलाने के सहारे खो गए सब ,
शेर --
गुजरे किस दौर से हैं फिर भी मुस्कराये
तख़लीफ़ कर हम खुद-बख़ुद गुनगुनाये
तंज कसते मजरूह दिल पे अहवाब सारे
सरमाया ज़ख्मों का रखा दिल से लगाये ।
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
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