ईश्वर की लीला'
बहुत कुछ दिया है यूँ तो खुदा ने
तृप्ति नाम की चीज मगर पास रख ली ,
अनन्त इच्छायें दीं पवन वेग सी
दमन नाम की चीज मगर पास रख ली ,
रची भोग,लिप्सा,विलास,वासना
शमन नाम की चीज मगर पास रख ली ,
बहुरंगी सपनों के आयाम सजा
जमीं ठोस कर्मों की मगर पास रख ली ,
अनन्त इच्छायें दीं पवन वेग सी
दमन नाम की चीज मगर पास रख ली ,
रची भोग,लिप्सा,विलास,वासना
शमन नाम की चीज मगर पास रख ली ,
बहुरंगी सपनों के आयाम सजा
जमीं ठोस कर्मों की मगर पास रख ली ,
मन को गढ़ा कितने मनोयोग से
विभूति मानवता की मगर पास रख ली ,
विभूति मानवता की मगर पास रख ली ,
पत्ता तक हिले ना बिन उसकी मर्जी
वस्तु दोषमुक्ति की भी मगर पास रख ली ,
तज विकार शीश का बोझ उतारें कहाँ
तज विकार शीश का बोझ उतारें कहाँ
कुँजी निदान की भी तो मगर पास रख ली ,
सुख,शान्ति,अमन,चैन ढूंढ़ते फिर रहे
सुख,शान्ति,अमन,चैन ढूंढ़ते फिर रहे
सन्दूक ऐसे भी धन की मगर पास रख ली,
खामियाँ भी भरीं खुद ही इंसानों में
पिटारा खूबियों का भी मगर पास रख ली ,
सब कुछ हो रहा सृजन के अनुकूल ही
सर कभी इल्ज़ाम ईश्वर ने कब खुद के ली ।
सर कभी इल्ज़ाम ईश्वर ने कब खुद के ली ।
अनन्त इच्छायें दीं पवन वेग सी
जवाब देंहटाएंदमन नाम की चीज मगर पास रख ली ,
रची भोग,लिप्सा,विलास,वासना
शमन नाम की चीज मगर पास रख ली ,
जबरदस्त